शहर मंदिरों का

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वाराणसी में अनेक दर्शनीय धार्मिक व तीर्थ स्थल हैं। इनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर प्रमुख हैं।

विश्वनाथ मंदिर

इन मंदिरों में वाराणसी के अधिष्ठाता भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर की अत्यधिक महत्ता है। वर्तमान विश्वनाथ मंदिर को इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने अठारहवीं शती में बनवाया था। सन 1835 में मंदिर के शिखरों को महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण मंडित कराया।

अन्नपूर्णा मंदिर

विश्वनाथ मंदिर के पास ही अन्नपूर्णा मंदिर है। इस मंदिर में चांदी के सिंहासन पर माता अन्नपूर्णा की पीतल की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के सभा मंडप में कुबेर,सूर्य, गणेश, विष्णु तथा हनुमान जी की भव्य मूर्तियां हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के पश्चिम गली में ढुंढिराज गणेश मंदिर है। काशी के कोतवाल के रूप में भैरवनाथ मोहल्ले में बाबा भैरवनाथ मंदिर है। इसमें सिंहासन पर स्थित चांदी जडि़त चतुर्भुज मूर्ति है। मंदिर के पिछले द्वार के बाहर क्षेत्रपाल भैरव की भव्य प्रतिमा है।

दुर्गा मंदिर

दुर्गाकुंड मोहल्ले में दुर्गा मंदिर है। अठारहवीं शती में निर्मित यह मंदिर भारतीय शिल्प कला का अनूठा नमूना है। इसी के आगे लंका जाने वाले मार्ग में सुरम्य उपवन के बीच संकटमोचन मंदिर है जिसमें हनुमान की भव्य मूर्ति विराजमान है। संकट मोचन हनुमान की यह मूर्ति श्रीरामचरित मानस के प्रणेता गोस्वामी तुलसी दास ने स्थापित की थी। इनके ठीक सामने भगवान श्रीराम जानकी और लक्ष्मण का मंदिर है। इन दोनों मंदिरो के मध्य मार्ग पर तुलसी मानस मंदिर है, मान्यता है कि यहां भी गोस्वामी तुलसी दास ने श्रीरामचरित मानस के अंश पूरे किये थे। भगवान श्रीराम को समर्पित इस मंदिर की दीवारों पर रामचरित मानस की पंक्तियां खुदी हुई हैं।

भारतमाता मंदिर

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में स्थित भव्य नया विश्वनाथ मंदिर का निर्माण बिड़ला परिवार द्वारा पं.मदन मोहन मालवीय की प्रेरणा से कराया गया। यह मंदिर वाराणसी में आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। काशी विद्यापीठ मार्ग पर भारतमाता को समर्पित भारतमाता मंदिर है। इस अद्भुत मंदिर में संगमरमर पर भारतवर्ष का सुंदर मानचित्र अंकित है। इसका निर्माण शिवप्रसाद गुप्त द्वारा कराया गया था। संकठाघाट के उपर संकठा माता मंदिर है। यह विकट मातृका देवी के नाम से भी जानी जाती हैं। इसी क्रम में विशालाक्षी देवी मंदिर की महत्वपूर्ण शक्ति पीठों में गणना की जाती है।

समीपवर्ती दर्शनीय स्थल सारनाथ: वाराणसी से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित सारनाथ सुप्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ है। भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं पर दिया था।

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