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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के आर्टिकल्स
हिमालय की गोद में माता के द्वार
शक्ति की उपासना की परंपरा हमारे देश में उतनी ही पुरानी है, जितनी कि संस्कृति। शक्ति को यहां माता कहा गया है। देवताओं को भी जब-जब शक्ति की जरूरत पड़ी उन्होंने देवी के रूप में ही उसका आह्वान किया। शक्ति की देवी के उन्हीं रूपों... आगे पढ़े
अब देश के सभी प्रमुख महानगरों से रेल और सड़क ही नहीं, हवाई मार्ग से भी सीधे जुडे़ बनारस के भीतर अगर आप घूमना चाहते हैं तो ऑटो या साइकिल रिक्शे से बेहतर साधन नहीं हो सकता। जिन कारणों से भारतीय लोकमानस में काशी के नाम से प्रतिष्ठित... आगे पढ़े
आस्था का प्रमुख केन्द्र श्री गोरक्षनाथ मंदिर
हिन्दू धर्म, दर्शन, अध्यात्म और साधना के अंतर्गत विभिन्न संप्रदायों और मत-मतांतरों में नाथ संप्रदाय का प्रमुख स्थान है। श्री गोरक्षनाथ मंदिर इस संप्रदाय का प्रमुख केन्द्र है। संपूर्ण देश में फैले नाथ संप्रदाय के विभिन्न... आगे पढ़े
मथुरा जहां बहती है अध्यात्म की धारा
ब्रजभूमि का हृदय माना जाने वाला शहर मथुरा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थल होने के कारण तो महत्वपूर्ण है ही, यह व्यापार और कला का भी प्रमुख केंद्र रहा है। एक समय में यह बौद्ध धर्म के प्रचार का एक बड़ा केंद्र बना था। दिल्ली से 145 किमी... आगे पढ़े
मराठों का मिनी खजुराहो गणेश बाग
राजश्री टंडन जैसे लोगों ने खजुराहो, उसके वास्तु, उसके दर्शन का जमकर विरोध किया किन्तु खजुराहो का दर्शन और उसका शिल्प भारतीय कला पर अपनी छाप छोड़ता गया। बुंदेलखंड और उसके बाहर अनेक ऐसे मंदिर मिल जाएंगे जिन पर खजुराहो के दर्शन... आगे पढ़े
कालिंजर को कालजयी यूं ही नहीं कहा जाता है। इसने कालखंड के प्रत्येक प्रसंग को, चाहे वो प्रागैतिहासिक काल के पेबुल उपकरण हों, पौराणिक घटनाएं हों या 1857 का विद्रोह हो, सबको बहुत ही खूबसूरती से अपने आंचल में समा रखा है। वेदों में उल्लेख... आगे पढ़े
नवरात्र में देवी के स्थानों की यात्रा भारत के धार्मिक पर्यटन का अभिन्न हिस्सा है। शिवपुराण की कथा के अनुसार शिव एक प्रसंग के बाद सती पार्वती के शव को लेकर तीनों लोकों में भ्रमण कर रहे थे, तो भगवान विष्णु ने उनका मोह दूर करने... आगे पढ़े
महोबा के गली-कूचों में आज भी जिंदा हैं आल्हा-ऊदल
आल्हा और वीर भूमि महोबा एक दूसरे के पर्याय हैं। यहां की सुबह आल्हा से शुरू होती है और उन्हीं से खत्म। यहां नवजात बच्चों के नामकरण भी आल्हखंड के नायकों के नाम पर रखे जाते हैं। कोई भी सामाजिक संस्कार आल्हा की पंक्तियों के बिना... आगे पढ़े
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