भारत के आर्टिकल्स

सिलवासा: आपाधापी से दूर सुकून के पल

सिलवासा: आपाधापी से दूर सुकून के पल

महानगरों की आपाधापी से दूर और इतना दूर भी नहीं हैं- दादरा व नागर हवेली। एक नाम जो सामान्य ज्ञान की किताबों से ही जाना-समझा। सिलवासा वहां की ही राजधानी है। विशाल कतारबद्ध पेडों के बीच गुजरती सडकें, क्षितिज तक फैली छोटी-छोटी पहाडियां,... आगे पढ़े

कॉर्बेट में बाघ से साक्षात्कार

कॉर्बेट में बाघ से साक्षात्कार

कई दिनों से दिल्ली से बाहर जाने की योजना बना रहे थे लेकिन काम की व्यस्तता के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा था। बचपन से वाइल्ड लाइफ का शौक था तो सोचा कि क्यों न इस बार जिम कार्बेट जाया जाए। आफिस में बॉस को किसी तरह से छुट्टी के लिए... आगे पढ़े

जिन्होंने दुधवा को दुधवा बनाया

जिन्होंने दुधवा को दुधवा बनाया

जैसे भीष्म पितामह नहीं होते, तो महाभारत नहीं होता, वैसे ही बिली अर्जन सिंह नहीं होते तो दुधवा नहीं होता। यह बात नसीम गाइड ने हमसे कही थी। दुधवा के अनुभवी गाइड, नसीम ही हमें बिली सर के घर ले गए थे। बात पिछले ही महीने यानी बीते साल... आगे पढ़े

बर्फ में मचलने के दिन

बर्फ में मचलने के दिन

सैलानियों के ख्वाब सच होने का मौसम आ गया है। देश भर में लाखों लोग पर्यटन पर निकल चुके हैं। पहाडी गांवों, कस्बों व शहरों में भीड बढ रही है। बरसों से उनके मन में यह देखने की तमन्ना है कि बर्फ कैसी होती है, कैसे गिरती है आसमान से और... आगे पढ़े

अंडमान के नीले समुद्र में मस्ती

अंडमान के नीले समुद्र में मस्ती

किसी ने कहा है, कहीं भी जाकर हम उतना ही घूमफिर सकते हैं, जितना हम थक सकें। समझा जाए तो थकावट एक मनस्थिति है, मगर घुम्मकडी के लिए पैसा और समय दोनों साथ-साथ चाहिए। लिहाजा दोनों जब मिले तो हम जैसे हिमाचली बाशिंदे अंडमान व निकोबार... आगे पढ़े

विविध रंग कर्नाटक के

विविध रंग कर्नाटक के

भारत के बागों का शहर (गार्डेन सिटी) के नाम से मशहूर बेंगलूर देश की सूचना तकनीकी राजधानी भी है। यह परंपरागत द्रविड व आधुनिक वास्तुकला के बेजोड मेल का उत्कृष्ट नमूना है। बेंगलूर से 150 किमी दूर मैसूर भव्य महलों, विशाल क्षेत्र में... आगे पढ़े

सागर से परे का गोवा

सागर से परे का गोवा

गोमांतक भूमि यानि गोवा देश-विदेश के पर्यटकों के लिए अल्टीमेट डेस्टीनेशन बन चुका हैं। पिछले चंद सालों से गोवा का आकर्षण दिन दुना-रात चौगुना होता जा रहा है। खूबसूरत समुद्र तट, पांच सौ साल से भी ज्यादा पुराने विशाल गिरजाघर और... आगे पढ़े

बाजीराव-मस्तानी के अमर प्रेम का गवाह

बाजीराव-मस्तानी के अमर प्रेम का गवाह

कमल-कुमुदिनियों से सुशोभित मीलों तक फैली बेलाताल झील के किनारे खडे जैतपुर किले के भग्नावशेष आज भी पेशवा बाजीराव और मस्तानी के प्रेम की कहानी बयां करते हैं। ऋषि जयंत के नाम पर स्थापित जैतपुर ने चंदेलों से लेकर अंग्रेजों तक... आगे पढ़े

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