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केरल
केरल के आर्टिकल्स
चावल व नारियल के बिना कुछ भी नहीं
केरल जितना खूबसूरत प्रांत है उतना ही जायकेदार यहां का खानपान है। चावल यहां का मुख्य भोजन है और चावल से बने कई तरह के व्यंजन लोग चाव से खाते हैं। चावल जितना ही महत्वपूर्ण है नारियल। नारियल के तेल में ही केरल के ज्यादातर व्यंजन... आगे पढ़े
हरियाली के देश में पानी पर सफर
केरल को देवताओं की भूमि कहा जाता है। इसकी सुंदरता को देखें तो यह बात एकदम सच लगती है। देश की मुख्य भूमि के एकदम सुदूर दक्षिण-पश्चिम कोने पर स्थित छोटे से राज्य में प्राकृतिक सौंदर्य भरपूर है। इस प्रदेश को उच्च भूमि, मध्य भूमि... आगे पढ़े
बाघों के घर हाथियों की मौज पेरियार वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी
पेरियार वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी दक्षिण भारत में वन्य जीवन की विविधता का बड़ा गढ़ है। इसकी स्थापना सन 1950 में की गई थी, जबकि टाइगर रिजर्व 1978 से शुरू किया गया। प्रभु की धरती कहे जाने वाले केरल के पश्चिमी तटों के मैदानी इलाकों में पेरियार... आगे पढ़े
जाड़े के दिनों में छुट्टियां बिताने के लिए समुद्र के तटवर्ती शहर अच्छे समझे जाते हैं। वहां आपको खुशगवार मौसम के साथ ही ठहरने-खाने की अच्छी सुविधाएं व जीवनशैली में प्रयोग की खुली आजादी मिलती है। 7516 किमी लंबी समुद्रतट रेखा वाले... आगे पढ़े
पर्यटन के लिए कई आकर्षणों से भरे केरल में पिछले कुछ वर्षो से एक नया आयाम और जुड़ा है, वह है स्वास्थ्य पर्यटन। हर साल हजारों पर्यटक प्राकृतिक चिकित्सा के जरिये स्वास्थ्यलाभ के लिए यहां आते हैं। प्रकृति ने इसे स्वास्थ्यवर्धक... आगे पढ़े
आयुर्वेद ने दिया पर्यटन को नया आयाम
इलाज के लिए दुनिया के कई देशों से लोगों के भारत आने की परंपरा वैसे तो बहुत पुराने समय से चली आ रही है, परंतु इसे व्यवसाय का रूप अब जाकर मिल सका है। चिकित्सा के क्षेत्र में दुनिया की सबसे पुरानी विकसित विधियों में एक आयुर्वेद को... आगे पढ़े
मिट्टी में नहाएं या बनाएं रेत के महल
आनायुत्तू, वदक्कुमनाथा मंदिर, त्रिशूर केरल की प्रकृति के साथ-साथ वहां की धार्मिक रीति में हाथियों की बड़ी भूमिका है। हर साल मलयालम महीने करकीदकम के पहले दिन मनाया जाने वाला यह पर्व दरअसल हाथियों का महाभोज है। इस दिन बड़ी संख्या... आगे पढ़े
शबरिमला: ब्रह्मचारी अय्यप्पन का वास
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किमी. की दूरी पर पंपा है, और वहीं से चार-पांच किमी. की दूरी पर पश्चिम घाट से सह्यपर्वत श्रृंखलाओं के घने जंगलों के बीच, समुद्र की सतह से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर शबरिमला मंदिर है। ‘मला’ मलयालम... आगे पढ़े