अन्य के आर्टिकल्स

चलो बुलावा आया है..

चलो बुलावा आया है..

नवरात्र में देवी के स्थानों की यात्रा भारत के धार्मिक पर्यटन का अभिन्न हिस्सा है। शिवपुराण की कथा के अनुसार शिव एक प्रसंग के बाद सती पार्वती के शव को लेकर तीनों लोकों में भ्रमण कर रहे थे, तो भगवान विष्णु ने उनका मोह दूर करने... आगे पढ़े

सिक्किम में अब मिलेंगे कैसिनो व मसाज पार्लर

सिक्किम में अब मिलेंगे कैसिनो व मसाज पार्लर

पर्यटन के क्षेत्र में विश्व के नक्शे पर अपनी पहचान बनाने को आतुर सिक्किम पर्यटकोंको राज्य में आकर्षित करने के लिए नित नए-नए प्रयोग कर रहा है। चाहे वह विलेज टूरिज्म हो अथवा पारंपरिक खानपान, कैसिनो हो या औषधीय जड़ी-बूटियों से... आगे पढ़े

इंडियन महाराजा नॉर्थ में भी पहुंचे

इंडियन महाराजा नॉर्थ में भी पहुंचे

पैलेस ऑन व्हील्स और रॉयल पैलेस ऑन व्हील्स को अब अपने ही इलाके में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। डेक्कन ओडिसी अब तक महाराष्ट्र में सैलानियों को रेल का राजसी सफर कराती थी। लेकिन अब इंडियन महाराजा के नाम से उसकी एक शाही... आगे पढ़े

देवीधुरा : पत्थरों से बरसती हैं नेमतें

देवीधुरा : पत्थरों से बरसती हैं नेमतें

उत्तराखंड की संस्कृति यहां के लोक पर्व और मेलों में स्पंदित होती है। यूं तो राज्य में जगह-जगह साल भर मेलों का आयोजन चलता रहता है, लेकिन कुछ मेले ऐसे हैं जो अपनी अलग ही पहचान बनाए हुए हैं। कुमांऊ के देवीधुरा नामक स्थान पर लगने... आगे पढ़े

हणोगी माता

हणोगी माता

हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग शोभा वाले अनेक मंदिरों में से एक है हणोगी माता मंदिर। राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर मंडी और कुल्लू के बीच बने पंडोह बांध से कुछ आगे चलकर व्यास नदी के दूसरी ओर यह एक पर्वत पर शोभायमान है जिसका सौंदर्य देखते... आगे पढ़े

श्रद्धा की त्रिवेणी रिवालसर की ओर

श्रद्धा की त्रिवेणी रिवालसर की ओर

हिमालय प्रदेश की खूबसूरत गोद में पसरी एक झील है पद्मसंभव। लेकिन कोई कहे कि पद्मसंभव झील चलें तो पता नहीं चलेगा, हां कहा जाए कि रिवालसर चलें तो बनेगी बात। पद्मसंभव व रिवालसर अब एक-दूसरे का पर्याय हैं। रिवाल गांव अब कस्बा हो चुका... आगे पढ़े

चलो गंगाधाम

चलो गंगाधाम

अक्षय तृतीया का दिन उत्तरकाशी के लिए विशेष महत्व रखता है। इस तिथि को प्रत्येक वर्ष उत्तराखण्ड के चार में से दो धाम गंगोत्री और यमनोत्री के पट यात्रियों के लिए खुल जाते हैं। इसी के साथ चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो जाता है। अक्षय... आगे पढ़े

महोबा के गली-कूचों में आज भी जिंदा हैं आल्हा-ऊदल

महोबा के गली-कूचों में आज भी जिंदा हैं आल्हा-ऊदल

आल्हा और वीर भूमि महोबा एक दूसरे के पर्याय हैं। यहां की सुबह आल्हा से शुरू होती है और उन्हीं से खत्म। यहां नवजात बच्चों के नामकरण भी आल्हखंड के नायकों के नाम पर रखे जाते हैं। कोई भी सामाजिक संस्कार आल्हा की पंक्तियों के बिना... आगे पढ़े

Page 9 of 23« First...«7891011»20...Last »

खोज विकल्प

English Hindi

आपके आस-पास