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धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम
केरल दक्षिण भारत का ऐसा राज्य है जहां प्रकृति एवं संस्कृति का अनूठा संगम है। हमारे देश की पश्चिमी तट रेखा के साथ लंबाई में विस्तार लिए इस प्रदेश को एक तरफ अरब सागर के नीले जल तो दूसरी ओर पश्चिमी घाट की हरी-भरी पहाडि़यों ने अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है। भारतीय मानसून सबसे पहले इस राज्य को प्रभावित करता है। इसलिए यहां की धरती काफी उर्वर है। यहां लौंग, इलायची, काली मिर्च, काजू, केला, धान, कॉफी, चाय और रबर की अच्छी खेती होती है। व्यावसायिक फसलों के कारण ईसा से एक हजार वर्ष पूर्व भी पश्चिमी... आगे पड़ें
राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर सात को पीछे छोड़ हमारी टैक्सी कोडाइकनाल रोड पर बढ़ रही थी। सड़क के दोनों ओर धान के लहलहाते खेत और उनकी पृष्ठभूमि में ताड़ के वृक्ष नजर आ रहे थे। कहीं-कहीं केले के पेड़ों के समूह भी दिख जाते थे। कुछ ही देर बाद मैदानी विस्तार सिमटने लगा तथा छोटी-छोटी पहाडि़यां भी दृश्यों में शामिल होने लगीं। टैक्सी जब पहाड़ी मार्ग पर पहुंची तो आरंभ में ताड़ और नारियल के वृक्ष हमारे दोनों ओर थे, लेकिन ज्यों-ज्यों ऊंचाई बढ़ने लगी इनकी जगह यूकलिप्टस के पेड़ लेने लगे, जो पहाड़ी ढलानों पर... आगे पड़ें
भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय और सदाबहार पर्यटन स्थलों में गोवा को शुमार किया जाता है। गोवा के पास पर्यटकों को पूरे साल लुभाने के लिए वह सब कुछ है जिसकी जरूरत एक आकर्षक और प्रकृति से भरपूर पर्यटन स्थल को होती है। यहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत बीच (समुद्री तट) हैं तो इतिहास के झरोखे में झांकने के लिए एक से बढ़कर एक किले भी हैं। सम्मिलित संस्कृति की झलक देते मंदिर और गिरजाघर हैं तो कला प्रेमियों के लिए संग्रहालय और कला दीर्घाएं भी हैं। टै्रकिंग के शौकीनों के लिए यहां पूरी सुविधाएं हैं तो खाने-पीने... आगे पड़ें
आप सैर-सपाटे की इच्छा रखते हैं, स्वास्थ्य लाभ के लिए पर्वतीय स्थल पर जाना चाहते हैं, आयुर्वेद उपचार के माध्यम से निरोग होना चाहते हैं, समुद्र में भ्रमण करते हुए घर जैसा आनंद लेना चाहते हैं या विश्राम के लिए पूर्ण शांत वातावरण चाहते हैं तो इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है, बस केरल चले जाइए। आजकल केरल बड़े-बड़े उद्योगपतियों, राज्याध्यक्षों, नव दंपतियों, ढलती उम्र की दहलीज पर पहुंचे लोगों, युवाओं, थके-हारे तनावग्रस्त लोगों यानी सभी वर्ग के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। करीब 600 कि.मी. लंबी... आगे पड़ें
पृथ्वी पर पृथ्वी से ही बनी विश्व की सबसे बड़ी और अत्यंत सुंदर प्राकृतिक आकृति है हिमालय पर्वत। कभी इस पर्वत की जगह टेथिस सागर लहराता था। इसीलिए इसकी सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट का दूसरा नाम सागरमाथा है। आज भी इसकी ऊंची श्रृंखलाओं में समुद्री जीवाश्म मिलते हैं। इसके सौंदर्य का वर्णन हुआ तो बहुत है, पर उसे ठीक-ठीक अभिव्यक्ति दे पाना शायद शब्दों की क्षमता से परे है। इस सौंदर्य के चाहने वाले लाखों ट्रेक्स, पर्वतारोही और बुद्धिजीवी उसे बार-बार आंखों में भर लेने के लिए जोखिम उठाकर भी यहां आते हैं।... आगे पड़ें
हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में यूं तो साल भर कोई न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होता रहता है, परंतु दशहरे का समय यहां के लिए खास तौर से उत्सवी हो जाता है। देश में जिन उत्सवों को देखने के लिए भारत ही नहीं, विदेशों से भी पर्यटक आते हैं उनमें कुल्लू के दशहरे का प्रमुख स्थान है। दशहरा यहां अनूठे ढंग से मनाया जाता है। कुल्लू दशहरे की खासियत यह है कि यह विजयदशमी को शुरू होता है, जबकि भारत के अन्य प्रांतों में दशहरा संपन्न होता है। सात दिन चलने वाले इस उत्सव के अंत में यहां रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले... आगे पड़ें
कहा जाता है कि धरती पर स्वर्ग अगर कहीं है तो वह कश्मीर में ही है। कश्मीर को यह उपमा दी तो गई है उसके प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होकर, लेकिन इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की दृष्टि से भी यह कुछ कम समृद्ध नहीं है। शंकराचार्य मंदिर और हजरतबल की पवित्रता, नागिन झील व डल झील का झिलमिलाता सौंदर्य, मुगल उद्यानों का शाही अंदाज, हिमशिखरों का धवल सौंदर्य और सुकून देती आबोहवा, ये सब ऐसा सघन आमंत्रण देते हैं, जिससे इनकार कर पाना किसी के लिए संभव नहीं है। सचमुच कश्मीर घाटी इतनी सुरम्य है जो सबके मन को बांध लेने... आगे पड़ें
भौगोलिक दृष्टि से किन्नौर हिमाचल राज्य के अन्य सभी क्षेत्रों से भिन्न है और इस क्षेत्र के पर्यटन का आनंद भी बिल्कुल अलग है। पहली बार आने वाले पर्यटकों को तो यहां आने के बाद एक अलग दुनिया में विचरने जैसा ही एहसास होता है। जैसे-जैसे इस घाटी में आगे बढ़ते जाते हैं, ऐसा लगता है जैसे तमाम रहस्यों को समेटे एक नई दुनिया की खिड़कियां हमारे लिए खुलती जा रही हों। सतलुज नदी के दोनों ओर बसे इस क्षेत्र में एक ओर हरे-भरे घने पेड़ों वाले पर्वतीय क्षेत्र और बर्फीले पर्वत हैं, तो दूसरी ओर विशालकाय चट्टानें... आगे पड़ें
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