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रोजमर्रा की दौड़भाग वाली जिंदगी की थकान मिटानी है या फिर शादी के बंधन में बंधने के बाद भविष्य के सपने संजाने हैं, तो केरल आईए। जन्नत सरीखी इस जगह के अनुभव किसी को भी ताउम्र याद रहेंगे। समंदर का जो रू प केरल में है वह शायद हिंदुस्तान के किसी हिस्से में ना हो। हरियाली ऐसी कि पहाड़ों को भी मात दे जाए। यहां के लोग भले ही हिंदी-अंग्रेजी कम समझें पर उनकी मेहमाननवाजी यह अहसास नहीं होने देगी कि आप घर से बाहर हैं। बस, सिर्फ थोड़ी योजना पहले बना लें, फिर देखिए विदेशों की सैर का अनुभव भी इन यादगार लम्हों के सामने फीका पड़ जाएगा।
भारत के आखिरी सिरे पर केरल में यूं तो बहुत कुछ है परंतु तीन चीजें आपकी यात्रा को यादगार बनाएंगी। पहला कोवलम बीच, दूसरा- बैकवाटर्स और तीसरी-आयुर्वेद स्वास्थ्य पद्धति से तरोताजा किए जाने की कला।
कोवलम से केरल भ्रमण की शुरुआत करें
राजधानी तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) से महज 16 किलोमीटर दूर स्थित कोवलम बीच से। कोवलम को भारत के सबसे सुंदर बीचों में से एक माना जाता है। लाईट हाउस बीच, इवनिंग बीच और समुद्र बीच, साथ-साथ हैं। चूंकि इन बीच पर गहराई एकदम नहीं है लिहाजा गार्ड की निगरानी में पानी के अंदर अठखेलियां करने की यह बेहतरीन जगह है।
कोवलम के यह बीच देश के सबसे अच्छे बीच में गिने जाते हैं। यहां आराम करने के लिए छतरी व चारपाई लेते हुए मोलभाव जरूर कर लें। कोवलम में पांच सितारा होटलों से लेकर सामान्य श्रेणी के अच्छे होटल हैं। इसलिए यात्रा का कार्यक्रम बनाने से पहले केरल पर्यटन की वेबसाइट पर अपने बजट के मुताबिक पहले से ही बुकिंग जरूर करा लें। कोवलम में रहते हुए ही आप त्रिवेंद्रम या तिरुवनंतपुरम शहर को घूमने जा सकते हैं।
आयुर्वेदिक मसाज
कोवलम की दिलचस्प फिजाओं में स्वास्थ्य लाभ भी। यानी एक पंथ दो काज। कोवलम में आयुर्वेद पद्धति से मसाज काफी प्रसिद्ध है। लेकिन मसाज के लिए केवल उन्हीं सेंटर पर जाना चाहिए जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। दरअसल यहां पर नारियल के तेल में विभिन्न जड़ी-बूटियों को मिलाकर शरीर की मालिश की जाती है। खासकर हड्डियों से संबंधित रोगों के लिए यह बढि़या उपचार है। मसाज के लिए दवाओं के हिसाब से कीमतें तय हैं, जिसमें 300 रुपये से शुरू होकर पांच हजार रुपये प्रति घंटा तक लिया जाता है। बैक वाटर्स केरल में बैकवाटर्स (यानी समुद्र का वह पानी जो लौटकर जमीन की तरफ आ जाता है) देखने लायक है। हरे-भरे धान के खेतों के बीच ऊंचे नारियल के पेड़ और साथ में बैकवाटर्स। यहां कुल मिलाकर करीब 900 किमी का बैकवाटर्स नेटवर्क है। अल्लपुष़ा (एलेप्पी), कोट्टयम व कोच्ची बैकवाटर्स के प्रमुख केंद्र हैं। एलेप्पी तो सबसे खास है। मीलों लंबे फैले बैकवाटर्स में एक से एक बढि़या हाउस बोट हैं जिनमें पांच सितारा होटलों की सी सुविधाएं हैं। बांस से बनी इन हाउसबोट्स में परिवार सहित एक रात गुजारी जा सकती है। करीब 7 हजार से लेकर 14 हजार रुपए में दो कमरों वाली अच्छी हाउस बोट आपको पानी के भीतर धीमे-धीमे घुमाती रहेगी। वहीं दो वक्त का खाना और सुबह का नाश्ता इसी में दिया जाएगा। लेकिन रात को ना रहना हो तो एक घंटे के 300 रुपए से लेकर एक ‘फेरी’ भी की जा सकती है।
अरब सागर के तट पर कोच्चि (एर्णाकुलम) बसा है। यह केरल का सबसे बड़ा व्यावसायिक केंद्र है और विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक हार्बर भी यहीं है। कोच्चि के लिए एलेप्पी से कार के द्वारा जाया जा सकता है। बाकी देश से भी यह जगह रेल व हवाई सेवा से सीधे जुड़ी है। हाउस बोट का आप मजा ले चुके हों तो यहां मोटरबोट पर जरूर जाएं। पुर्तगालियों ने ‘फोर्ट कोच्चि’ गांव को बसाया था। हार्बर हाउस और कई अन्य जगहों को आप मोटरबोट से ही देख सकते हैं। डॉल्फिन को आपकी बोट में आपके साथ ‘रेस’ लगाते देख चौंकिएगा नहीं। डॉल्फिन यहां घूमती रहती हैं। ‘डच पैलेस’ देखने लायक है जिसे पुर्तगालियों ने 1557 में बनाकर केरल के राजा को सौंपा था।
केरल हिंदुस्तान का सबसे साफ सुथरा राज्य है। (इसका अहसास आपको रेलवे स्टेशनों से भी हो जाएगा) यहां सौ प्रतिशत साक्षरता दर है। बेहतरीन कानून व्यवस्था और विश्व की सबसे बढि़या चिकित्सा सुविधाओं में से एक यहां है। यहां सबसे कम मृत्यु दर है। हिंदू, ईसाई व मुस्लिम सभी धर्म यहां बसते हैं। यहां समुद्र तल से निचली सतह पर खेती की जाती है।
है न खास बात!
शापिंग: केरल में सिर्फ खानपान ही सस्ता नहीं है बल्कि यहां से बढि़या खरीदारी भी की जा सकती है। यहां से आप काजू ले ही जा सकते हैं। काजू का आकार इसकी कीमत तय करता है। लेकिन सबसे बढि़या काजू 350 रुपये किलो से मंहगा नहीं। केरल मसालों का भी सबसे बढि़या केंद्र है। दालचीनी व इलायची काफी सस्ती व उत्तम किस्म की हैं। बाकी मसाले भी ले जाना न भूलें। साडि़यों की तो यहां भरमार है। बजट के हिसाब से सिल्क व कॉटन की हर वैरायटी मिलेगी। इन साडि़यों की कीमत उत्तरी भारत के बाजारों से काफी कम है।
खाना: यदि आप शाकाहारी हैं तो भी केरल में दिक्कत नहीं और मांसाहारी हैं तो भी वाह-वाह। सी फूड के शौकीन अपनी पंसद का हर किस्म का पकवान ले सकते हैं। मछलियों से लेकर प्रॉन और अन्य किस्म का समुद्री स्वाद यहां मिलेगा जबकि शाकाहारी को साऊथ इंडियन थाली में हर सब्जी मिलेगी, मगर नारियल वाली। डोसा, इडली और उत्तपम का तो स्वाद ही निराला है। केला भी यहां विभिन्न किस्मों का मिलेगा। इनके स्वाद भी अलग-अलग हैं और एक से बढ़कर एक गुणकारी, खासकर यहां का लाल केला जिसका स्वाद आपको उत्तर भारत में कहीं नहीं मिलेगा। पीने के लिए नारियल पानी की बात ही अलग है।
कब व कैसे: यूं तो पूरे साल केरल जाया जा सकता है। यहां तापमान में थोड़ा सा ही फेरबदल है। गर्मियों में यहां तापमान 24 -33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। बस उमस थोड़ा ज्यादा होती है। सर्दियों में 22 से 32 डिग्री सेल्सियस और वर्षा ऋतु में 22 से 28 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है। पहनावा सूती ही रखना बेहतर होगा। सर पर टोपी और धूप का चश्मा और सन स्क्रीन लोशन के साथ घूमने जाएं तो आरामदायक रहेगा। त्रिवेंद्रम के लिए देश के हर प्रमुख शहर से रेल सेवा है। पूर्व योजना हो तो हवाई जहाज से भी जाना ज्यादा खर्चीला नहीं।
5 Responses to “केरल: प्रकृति का नायाब तोहफा”