धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम

मानव विकास का आरंभिक स्थान है भीम बैठका

मानव विकास का आरंभिक स्थान है भीम बैठका

मध्य प्रदेश के दर्शनीय स्थलों में भीम बैठका महत्वपूर्ण स्थान है। प्रदेश की राजधानी भोपाल से यह स्थान लगभग 55 किमी. दूर है। भीम बैठका अपने शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इनकी खोज वर्ष 1957-58 में डाक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। यहां 750 शैलाश्रय हैं जिनमें 500 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सुसज्जित हैं। पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा। यह बहुमूल्य धरोहर अब पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। शैल चित्रालय भीम बैठका क्षेत्र में प्रवेश... आगे पड़ें

हवेलियों से भरा-पूरा है शेखावटी

हवेलियों से भरा-पूरा है शेखावटी

डुंडलोद स्थित गोयनका हवेली खुर्रेदार हवेली के नाम से प्रसिद्ध है। स्थापत्य के अप्रतिम उदाहरण इस हवेली का निर्माण उद्योग कर्मी अर्जन दास गोयनका द्वारा करवाया गया था जो अपने समय के सुविज्ञ और दूरदर्शी थे। व्यापार-व्यवसाय से जुड़े होने के बावजूद वे लोक रंग लोकरीति और लोक कलाओं के संरक्षण के प्रबल इच्छुक थे और इसलिए उन्होंने अपनी इस विशालकाय चौक की हवेली के बाहर दो बैठकें, आकर्षक द्वार और भीतर सोलह कक्षों का निर्माण करवाया था जिनके भीतर   कोटडि़यों, दुछत्तियों, खूटियों, कडि़यों की पर्याप्त... आगे पड़ें

हिम्मत का इम्तिहान लेती दो तीर्थयात्राएं

हिम्मत का इम्तिहान लेती दो तीर्थयात्राएं

कैलाश-मानसरोवर यात्रा शिव के निवास कहने जाने वाले कैलाश पर्वत की यात्रा न केवल तीर्थयात्रियों के लिए बल्कि ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए भी एक चरम उपलब्धि मानी जाती है। कैलाश का सफर बस व पैदल ट्रैक का मिला-जुला रास्ता है। सफर बेहद मुश्किल है। नाभीढांग से लिपुलेख दर्रा पार करते हुए 5334 मीटर की ऊंचाई पार करनी होती है। मौसम हर कदम पर कड़ा इम्तिहान लेता है। अमरनाथ की यात्रा इसके आगे कुछ भी नहीं। लेकिन कैलाश-मानसरोवर का चीन की सीमा में होना, इसे भारतीयों के लिए खर्च के लिहाज से मुश्किल बनाता है। मुख्य... आगे पड़ें

एक सैर हवेलियों के नाम

एक सैर हवेलियों के नाम

शेखावटी की हवेलियों को दुनिया की सबसे बड़ी ओपन आर्ट-गैलरी की भी संज्ञा दी जाती है। इन हवेलियों पर बने चित्र शेखावटी इलाके की लोक रीतियों, त्योहारों, देवी-देवताओं और मांगलिक संस्कारों से परिचय कराते हैं। ये इस इलाके के धनाड्य व्यक्तियों की कलात्मक रुचि की भी गवाही देते हैं। यूं तो इस इलाके में चित्रकारी की परंपरा छतरियों, दीवारों, मंदिरों, बावडि़यों और किलों-बुर्जो पर जहां-तहां बिखरी है। लेकिन धनकुबेरों की हवेलियां इस कला की खास संरक्षक बनकर रहीं। अर्ध-रेगिस्तानी शेखावटी इलाका राव शेखाजी... आगे पड़ें

केवल तीर्थ नहीं केदारनाथ

केवल तीर्थ नहीं केदारनाथ

केदारनाथ जाने की प्रबल इच्छा क्यों हो रही थी इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था। किसी तीर्थ पर जाने में मुझे कोई विशेष रुचि कभी नहीं थी। पर केदारनाथ की बात ही अलग है। मेरे पति माइकल तीर्थ आदि जाने में विश्वास नहीं करते हैं। जब मैने उन्हें अपनी इच्छा बतायी तो उनका जवाब था- हां, और वहां जाकर, जिंदगी और कूड़ा फैलना- मैं उनकी भावना को समझती थी और उनसे सहमत भी थी। पर्यावरण के प्रति उनकी संवेदनशीलता से मैं अनभिज्ञ नहीं हूं। लोग तीर्थ पर तो जाते है, पर वहां की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं। अधिकतर तीर्थ स्थान... आगे पड़ें

हर मौसम में बुलाती पराशर

हर मौसम में बुलाती पराशर

पहाड़ों की गोद में पसरे ठंडे स्वच्छ निर्मल जल ने मानवीय मन व शरीर को हमेशा आमंत्रित किया है और पनीली आगोश में टहलता जमीन का गोलमटोल हिस्सा भी हो तो अचरज भरे अद्भुत अनुभव होने स्वाभाविक हैं। कुछ ऐसी ही जादूगरनी है पराशर झील। खूबसूरत ख्वाब के दो हिस्से जैसे हैं पराशर स्थल और झील। मंडी की उत्तर दिशा में लगभग 50 किलोमीटर दूर हिमाचल की प्राकृतिक झीलों में से एक, स्वप्निल मनोरम व नयनाभिराम। किसी भी मौसम में खिंचे चित्र इतने दिलकश लगते हैं कि पराशर जाने के लिए सैलानी मन को मानो पंख लग जाते हैं। एक... आगे पड़ें

कठिन यात्रा है रुद्रनाथ की

कठिन यात्रा है रुद्रनाथ की

समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के एकानन यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर के सामने से दिखाई देती नंदा देवी और त्रिशूल की हिमाच्छादित चोटियां यहां का आकर्षण बढ़ाती हैं। गोपेश्वर की यात्रा इस स्थान की यात्रा के लिए सबसे पहले गोपेश्वर पहुंचना होता है जो कि चमोली जिले का मुख्यालय है। गोपेश्वर एक आकर्षक हिल स्टेशन... आगे पड़ें

सावन के झूले और नौकाओं की रेस

सावन के झूले और नौकाओं की रेस

श्रावणी तीज, जयपुर, राजस्थान सावन के भीगे-भीगे महीने की मौजमस्ती, चारों तरफ हरियाली और पेड़ों पर लगे झूले। तीज की बात ही निराली है। खास तौर पर महिलाओं का त्योहार। धार्मिक महत्व की बात की जाए तो देवी पार्वती के प्रति आस्था का पर्व। इस पर्व की खास रौनक भले ही राजस्थान में दिखती हो लेकिन इसे मनाया पूरे उत्तर भारत और नेपाल में भी जाता है। जयपुर में देवी पार्वती की पूजा के बाद हाथियों, ऊंटों व घोड़ों की सवारी देखने लायक होती है। वुमैड, सिंगापुर व‌र्ल्ड ऑफ म्यूजिक, आ‌र्ट्स एंड डांस फेस्टिवल सिंगापुर... आगे पड़ें

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