धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम

झारखंड ! जहां आंखें थक जायें, दिल न भरे

झारखंड ! जहां आंखें थक जायें, दिल न भरे

झारखंड हमारे देश के उन राज्यों में आता है जहां आप अभी भी प्राकृतिक सुषमा का वास्तविक आनंद ले सकते हैं। यह राज्य अभी भी शहरीकरण के दुष्प्रभाव से बहुत हद तक बचा हुआ है। जंगल पहाड़, घाटी, जलप्रपात, वन्य प्राणी, इतिहास, सभ्यास-संस्कृति में धनी एवं प्यारा शहर मेहमान के स्वागत में सदैव तत्पर है और धरती पर स्वर्ग का एक हिस्से के रूप में खड़ा है। छोटानागपुर क्षेत्र के घने जंगल, खूबसूरत वादियां, पहाडि़यां व जलप्रपात पर्यटकों को नाटकीय दबाव से दूर उनमुक्त प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराते हैं। झारखंड... आगे पड़ें

दूर-दूर तक फैले रेतीले धोरों का समन्दर बीकानेर

दूर-दूर तक फैले रेतीले धोरों  का समन्दर बीकानेर

नाम लेते ही जैसे चलचित्र की भांति मानसपटल पर धोरांरी धरती, थार का निर्जन रेगिस्तान, मरुस्थल, रेतीली भूमि प्यासी धरती अकाल की मण्डराती काली छाया आदि विभिन्न रूपों में उभरता है। वही है बीकानेर।  जो राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से तीसरा स्थान शुष्क एवं गर्म जलवायु, सत्ताईस हजार तीन सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में आठ लाख 40 हजार उनसठ आबादी निवास करती है। जिसकी 108 किमी की सीमा अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की है। जो पर्याय है बगों की मिश्री वृद्धों की पसन्द रसगुल्लों का पुरुषों की रुचि भुजिए एवं पापड़... आगे पड़ें

कौमी एकता का प्रतीक अजमेरशरीफ

कौमी एकता का प्रतीक अजमेरशरीफ

अजमेर का इतिहास जितना रोचक है, धार्मिक दृष्टि से वह उतना ही महत्वपूर्ण है। अरावली की पहाडि़यो के मध्य तारागढ़ नामक पहाड़ी के आसपास फैले इस शहर को चौहान राजा अजयपाल ने सातवी सदी मे बसाया था। चौहान राजाओं के बाद यह मेवाड़ के राणाओं, मुगल शासक अकबर और फिर अंगे्रजो के अधिकार मे रहा। धार्मिक दृष्टि से यह शहर हिंदू-मुस्लिम दोनो ही समुदायो की श्रद्धा का महत्वपूर्ण उदाहरण है। अजमेर की प्रसिद्धि का सबसे बड़ा कारण सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, जिन्हे श्रद्धा से लोग ख्वाजा गरीब नवाज... आगे पड़ें

आस्था की भूमि है केदारखंड

आस्था की भूमि है केदारखंड

आस्था और अध्यात्म की भूमि उत्तरांचल का एक बड़ा भाग है केदारखंड। देवभूमि का यह भाग भगवान शिव का क्रीड़ास्थल कहा जाता है। इसलिए इस स्थान पर भगवान शिव के कई मंदिर हैं। इनमें पंचकेदार के दर्शन का महत्व सबसे अधिक है। केदारखंड एक दंतकथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव गोत्रहंता के पाप का प्रायश्चित करने के लिए शिव की शरण में पहुंचे। शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे। जब पांडव शिव को खोजते हुए केदारखंड पहुंचे तो शिव महिष अर्थात भैंसे का रूप धारण कर वहां विचरते पशुओं में शामिल हो गए। फिर भी भीम... आगे पड़ें

मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत: दतिया

मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत: दतिया

दिल्ली में रहने वाले लोग मध्य प्रदेश घूमने का मन बनाते हैं तो उनकी कल्पना ओरछा और खजुराहो के मंदिरों तक ही दौड़ती है। मैं भी उनमें से एक हूं। मैंने भी तय किया कि मध्य प्रदेश में ओरछा होकर आता हूं। उसके लिए मुझे झांसी तक ट्रेन से जाना था तो दिन की ट्रेन में सवार होकर चल पड़ा झांसी की ओर। लेकिन वहां पहुंचने से कुछ पहले अचानक एक छोटे से कस्बे में बड़ा सा महल दिखा, जो काफी प्रभावशाली लग रहा था छोटी सी पहाड़ी पर बसे इस महल को दूर से करीब आते देख रहा था। महल पास आया और उस कस्बे के स्टेशन का बोर्ड पढ़ा तो... आगे पड़ें

अतीत के रंग में रंगा श्रीरंगपट्टन

अतीत के रंग में रंगा श्रीरंगपट्टन

मैसूर से करीब 16 किमी दूर कावेरी नदी में बने अंडाकार द्वीप पर बसा है श्रीरंगपट्टन। इस छोटे से शहर का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन जिस कारण यह शहर मशहूर है उसका प्राचीन इतिहास से कुछ लेना-देना नहीं है। शहर का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक दुखद हादसे और एक काबिल पर बदकिस्मत राजा की अंतिम लड़ाई से जुड़ा है। जी हां, जिस टीपू सुल्तान की गाथा हम सब स्कूलों कॉलेजों, घरों और पंचायतों में सुनते हुए पले-पढ़े हैं उसी टीपू सुल्तान ने इस शहर में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपनी जान दी थी। श्रीरंगपट्टन... आगे पड़ें

महाराष्ट्र के अष्टविनायक

महाराष्ट्र के अष्टविनायक

सभी देवों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा वैसे तो पूरे देश में होती है, पर महाराष्ट्र में इनकी मान्यता कुछ अधिक ही है। राजधानी मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक के दर्शन के लिए कई नामी-गिरामी लोग कतार में खड़े देखे जा सकते हैं। इसके अलावा भी गणेशजी के कई प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र में हैं, जहां वह अपनी पत्नियों ऋद्धि व सिद्धि के साथ पूजे जाते हैं। ऐसे ही मंदिरों की श्रृंखला है अष्टविनायक। आठ मंदिरों की श्रृंखला आठ मंदिरों की यह श्रृंखला मुंबई के पास रायगढ़ व पुणे में फैली है। इस श्रृंखला के... आगे पड़ें

श्रद्धा की रोमांचक यात्रा अमरनाथ

श्रद्धा की रोमांचक यात्रा अमरनाथ

आस्था एवं साहस की बुलंदियों का पर्याय है अमरनाथ यात्रा। समुद्रतल से 14500 फुट की ऊंचाई पर विशाल प्राकृतिक गुफा के रूप में अवस्थित है यह तीर्थ। इसी गुफा में भगवान शिव हिमलिंग के रूप में आकार लेते हैं। हर वर्ष सावन माह में इस हिम शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। अमरनाथ का संबंध अमरत्व प्राप्त करने की कथा से है। मान्यता है कि एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से अमरकथा सुनाने का आग्रह किया। कथा वह ऐसे स्थान पर सुनाना चाहते थे जहां अन्य कोई उसे न सुन सके। इसके लिए उन्होंने अपने... आगे पड़ें

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