धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम

प्रकृति और संस्कृति की समृद्ध विरासत छत्तीसगढ़

प्रकृति और संस्कृति की समृद्ध विरासत छत्तीसगढ़

प्राय: जाने-माने पर्यटन स्थलों के आकर्षण के चलते ऐसे कई महत्वपूर्ण सैरगाह सैलानियों से छूट जाते हैं, जो वास्तव में आदर्श सैरगाह होते हैं। छत्तीसगढ़ की अनोखी सांस्कृतिक विरासत एवं प्राकृतिक विविधता का आधार वहां के ऐतिहासिक स्मारक, प्राचीन मंदिर बौद्धस्थल तथा हरे-भरे पहाड़, झरने, नदियां, वन्य जीवन एवं गुफाएं हैं, जो किसी भी यायावर को आकर्षित करने में पूर्णतया सक्षम हैं। छत्तीस किलों से छत्तीसगढ़ पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में घूमते हुए जब मैं छत्तीसगढ़ पवेलियन के पर्यटन सूचना... आगे पड़ें

उड़ीसा में बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र

उड़ीसा में बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र

उड़ीसा में ऐसी कई जगहें हैं, जिनके  बारे में अभी भी पूरी जानकारी दुनिया को नहीं है। प्रकृति के चमत्कारों के अलावा यहां बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष भी हैं। जिस तरह कपिलवस्तु, बोधगया व सारनाथ का संबंध भगवान बुद्ध के जीवन से है, वैसे ही उड़ीसा का संबंध उनके दर्शन से है। राज्य के लगभग हर हिस्से से बौद्ध दर्शन से जुड़ी  चीजें मिल चुकी हैं। 261 ई. पू. में हुए कलिंग युद्ध के बाद यहां बौद्ध धर्म की लोकप्रियता बढ़ी। इसके बाद ही सम्राट अशोक का हृदयपरिवर्तन हुआ और सुदूर पूर्व व दक्षिण एशिया में बौद्ध धर्म का... आगे पड़ें

उड़ीसा में पर्यटन का सुनहरा त्रिकोण

उड़ीसा में पर्यटन का सुनहरा त्रिकोण

उड़ीसा में पर्यटन की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण स्थल हैं भुवनेश्वर, पुरी और कोणार्क। इन्हीं जगहों के लिए यहां सबसे अधिक पर्यटक आते हैं और ये तीनों जगहें एक-दूसरे से बमुश्किल 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इसे उड़ीसा में पर्यटन का सुनहला त्रिकोण कहा जा सकता है। यहां स्थित पवित्र मंदिरों और सागर की हलचलों की एक झलक पाने के लिए ही दूर-दूर से लोग  आते हैं। उड़ीसा की राजधानी होने से भुवनेश्वर देश के सभी प्रमुख शहरों से हवाई, सड़क व रेल तीनों मार्गो से जुड़ा है और हर मार्ग पर नियमित सेवाएं भी हैं।... आगे पड़ें

उदयपुर: रोमानियत भरा ऐतिहासिक शहर

उदयपुर: रोमानियत भरा ऐतिहासिक शहर

रोमानियत भरा ऐतिहासिक शहर उदयपुर राजस्थान के महाराणाओं के शौर्य की गौरवगाथा कहते हुए से लगते हैं। अरावली की पहाडि़यों पर स्थित यह शहर झीलों और महलों के लिए खास तौर से जाना जाता है। इसके आसपास कई और भी दर्शनीय जगहें हैं। खूबसूरत झीलों, आलीशान महलों व सुंदर उद्यानों वाला उदयपुर रोमानियत भरा ऐतिहासिक शहर है। इसकी फिजाओं में आज भी राणाओं की शौर्यगाथाएं गूंजती हैं। मेवाड़ पर 1200 वर्षो तक महान सूर्यवंशी राजाओं का शासन रहा। माना जाता है कि किसी भी क्षेत्र पर इतने लंबे समय तक शासन करने वाला भारत... आगे पड़ें

विशाखापट्नम: अनछुआ है सौंदर्य जिसका

विशाखापट्नम: अनछुआ है सौंदर्य जिसका

तीन दिशाओं से समंदर से घिरे हमारे देश की हजारों मील लंबी तटरेखा पर सैकड़ों मनोरम बीच हैं। लेकिन पर्यटकों का ध्यान कुछ खास सागर तटों पर जाकर ही ठहर जाता है। हमने तय कर लिया था कि बार-बार उन्हीं तटों के दृश्य निहारने से बेहतर है किसी अनछुए सागर तट की ओर जाएं। तभी एक दिन कॉफी हाउस में बैठे, बराबर वाली टेबुल पर दो व्यक्तियों को विशाखापट्नम के सागर तट की बात करते सुना। बस मेरे अंदर छिपे ट्रेवल बग ने मुझे काटना शुरू कर दिया। एक नए पर्यटन स्थल के प्रति उपजी उत्सुकतावश मैं शिष्टाचार भूल उनके वार्तालाप... आगे पड़ें

बस्तर जहां ठहर सा गया है समय

बस्तर जहां ठहर सा गया है समय

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 43 पर दौड़ते हुए जब हमारी कार घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर बढ़ने लगी, तो हम समझ गए, यही वह केशकाल घाटी है जिसके बारे में गाइड ने कुछ देर पहले ही बताया था। यह बहुत छोटा लेकिन मनोरम पर्वतीय स्थल है। मार्ग में स्थित तेलिन माता मंदिर के कारण इसे तेलिन घाटी भी कहा जाता है। पहाड़ी के शिखर पर एक पिकनिक स्पॉट के कारण यह स्थान छत्तीसगढ़ पंचवटी के नाम से जाना जाता है। राज्य के वन विभाग द्वारा विकसित इस स्थान से दूर तक फैली घाटी का दृश्य देखते ही बनता है। पंचवटी के नैसर्गिक सौंदर्य... आगे पड़ें

संगम आस्था और प्रकृति के वैभव का प्रतीक है सोमनाथ मंदिर

संगम आस्था और प्रकृति के वैभव का प्रतीक है सोमनाथ मंदिर

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में सागरतट पर स्थित सोमनाथ के मंदिर की ओर मैं किसी भक्ति भावनावश नहीं खिंचा चला गया था। बहुत लंबे समय से मेरे अंदर इस जिज्ञासा ने घर कर रखा था कि आखिर इस मंदिर या इस क्षेत्र में ऐसा क्या है जिसने महमूद गजनी समेत कई अन्य आक्रांताओं को भी आकर्षित किया। वे इस पर इस तरह लट्टू हुए कि उन्होंने इसको लूट-खसोटकर अपने घर ले जाना चाहा। इतिहास के पाठक इस प्रश्न का जवाब बड़ी आसानी से दे जाते हैं, ‘अरे भाई सोना, हीरे, जवाहरात थे जिनको लूटने के लिए वे इसको बार-बार खसोटते रहे।’... आगे पड़ें

भोग से योग का मार्ग दिखाता खजुराहो

भोग से योग का मार्ग दिखाता खजुराहो

मध्यकालीन भारत के चंदेल राजाओं के पराक्रम और वैभव की गाथाएं आज भी बुंदेलखंड में सुनी जाती हैं। कला और संस्कृति के प्रति उनके लगाव के प्रमाण खजुराहो में अत्यंत जीवंत रूप में मौजूद हैं। भव्य मंदिरों के रूप में खड़े ये साक्ष्य उस दौर के धर्म, कला और जीवन के तमाम भावों को अपने में समेटे हुए हैं। खजुराहो के गगनचुंबी देवालयों की भित्तियों में जड़ी असंख्य मूर्तियां जीवन के हर आयाम को विभिन्न कोणों से प्रदर्शित करती हैं। मंदिरों की ये भित्तियां पाषाण पर उकेरे किसी महान ग्रंथ के पन्नों सी प्रतीत... आगे पड़ें

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