महाबलेश्वर का सुहाना सफर

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सुंदर पहाडि़यों व घाटियों के लिए प्रसिद्ध महाबलेश्वर सैलानियों को बरबस ही आकर्षित करता है। 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित महाबलेश्वर के लिए रेल, रोड व हवाई यात्रा मुंबई और पुणे से की जा सकती है।

हम जून में महाबलेश्वर गए। पुणे में लोगों ने बताया कि अभी महाबलेश्वर में भारी बारिश हो रही है, पर हम तड़के उठकर बस से चल पड़े। सफर बड़ा ही सुखद रहा। दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी से दूर पहाड़ों के बीच बड़ा आनंद आ रहा था। रास्ते में सुंदर पहाडि़यों व पेड़-पौधों को देखते ठीक साढ़े तीन घंटे बाद हम महाबलेश्वर पहुंच गए। वहां पहुंचकर हमने एक होटल में कमरा लिया, चाय पी और छाते लेकर निकल पड़े प्रकृति का सौंदर्य निहारने। टैक्सी वाले ने हमें कुछ बिंदु बताए, जहां से नीचे की ओर देखा जा सकता है। ये बिंदु हैं एलफिंस्टन, बांबे, बैबिंगटन व केटस। हम केटस गए। वहां खड़े होकर देर तक नीचे देखते रहे। पास में सुंदर जलप्रपात था और दूसरी तरफ घना जंगल।

हमने सोचा कि जंगल के अंदर चला जाए। चिडि़यों की कोलाहल के बीच हम अंदर बढ़ते गए। छोटे-छोटे पेड़-पौधों को हाथ से हटाते धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। शाम होने लगी तो  बताया गया कि अब जंगली जंतु बाहर निकल सकते हैं, अत: फाटक बंद किए जा रहे हैं। हमें भी डर लगा कि कहीं रास्ता न भूल जाएं, अत: वापस आ गए।

स्ट्रॉबेरी फार्म का मजा

वहां से हम स्ट्रॉबेरी फार्म गए। बारिश से हम काफी भीग चुके थे। वहां हमने स्ट्रॉबेरी शेफ का आनंद लिया। वहां से वेना लेक गए, जहां धुंध के नाते हम बहुत दूर तक नहीं देख सके पर चारों ओर हमें जल ही जल देखने को मिला। वापस आते समय ड्राइवर ने बताया कि यहां भगवान शिव व भगवान विष्णु के दो प्राचीन मंदिर हैं, जो पांडवों के समकालीन हैं। पंचगंगा मंदिर में पांच नदियों से पानी लिया गया है। यहां दो कुंड है- एक नहाने व दूसरा कपड़े धोने के लिए। रात होने लगी थी। अत: मॉल में थोड़ी देर घूमने के बाद हम वापस अपने कमरे में आ गए। वहां से स्ट्रॉबेरी शेक व स्ट्रॉबेरी टॉपिंग की कुछ बोतलें हम उपहार स्वरूप ले जाने के लिए अपने साथ ले आए।

अगले दिन जंगलों के बीच बनी सड़कों पर घूमते रहे। बहुत ही अच्छा लगा। हलकी सी धुंध होने के कारण सैर और भी रोमानी हो गया। जब टांगें दुखने लगीं तो हम वापस होटल की ओर रवाना हुए। महाबलेश्वर का हमारा सफर समाप्त हुआ हम वापस पुणे आ गए। जल्द ही वापस जाना है और कामकाज में जुट जाना है, यह सोचकर थोड़ा दुख भी हुआ

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