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कुछ सालों पहले तक स्कीइंग भारतीयों की नजर में विदेशी लोगों और बॉलीवुड की फिल्मों का ही शगल था। भारत में तब स्की रिसॉर्ट ऐसे नहीं थे और जो थोड़ी-बहुत सुविधाएं थीं, वे भी आम लोगों की पहुंच से दूर थीं। लेकिन तस्वीर बड़ी तेजी से बदल रही है। शीतकालीन ओलंपिक खेलों में उतरने वाले एकाध नामों के साथ-साथ भारत में स्कीइंग का रोमांच धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है। कश्मीर में गुलमर्ग व उत्तरांचल में ऑली अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ स्कीइंग के लिए भी खासे लोकप्रिय हो गए हैं। खास बात यह है कि इस रोमांच का अनुभव लेना अब इतना महंगा भी नहीं रहा। किसी आम छुट्टी के खर्च में ही ऑली जाकर कुछ दिन स्कीइंग का मजा लिया जा सकता है।
स्कीइंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात बर्फबारी के लिए उपयुक्त मौसम के साथ-साथ पहाड़ पर लंबा व सुरक्षित ढलान होती है। आप स्की पर बीस-पच्चीस मीटर फिसलने का मौका कहीं भी आजमा लें लेकिन कायदे की स्कीइंग हर जगह नहीं हो सकती। ऑली जैसी जगह की खूबसूरती इसी में है कि वह आपको स्कीइंग के लिए खुद-ब-खुद आमंत्रित करती है। जगह के साथ-साथ शौक व आनंद, दोनों की सुविधाएं हों तो क्या कहना। ऑली में यह सब कुछ है। गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं के बूते इसकी तुलना दुनिया के सर्वोत्तम स्की स्थलों से की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से यहां स्कीइंग समारोहों के अलावा राष्ट्रीय स्की चैंपियनशिप भी होती है।
ऑली में बर्फ से ढके ढलानों के किनारे पर देवदार के पेड़ों की कतारें हैं जो हवा के वेग को रोककर स्कीइंग के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करती हैं। ऑली से नंदादेवी (7817 मीटर), कामेट (7756 मी), माना (7273 मी) और दूनागिरी (7066 मी) चोटियों का खूबसूरत नजारा मिलता है। मौसम खुला हो तो ये चोटियां इतनी पास नजर आती हैं कि आपका मन छलांग लगाकर उन तक पहुंचने का करेगा। यूं तो ऑली गरमियों में हिल स्टेशन की तलाश करने वालों के लिए भी उपयुक्त जगह है लेकिन इसकी असली ख्याति कड़ाके की सरदी में स्कीइंग का लुत्फ लेने से ही है। फिर किसी बर्फीली जगह का बाकी आनंद तो है ही। तो अगर है मन में इस बार कुछ नया करने की तो नजर डालिए बाकी बातों पर, बनाइए प्लान और निकल जाइए रोमांच के सफर पर।
यह ऑली का सबसे खास आकर्षण है। स्कीइंग के लिहाज से ऑली किसी नौसिखिए और पेशेवर, दोनों के लिए उपयुक्त है। स्कीइंग के लिए उपकरण और इंस्ट्रक्टर तो यहां हमेशा किराये पर उपलब्ध रहते ही हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम जनवरी से मार्च के बीच स्कीइंग के कोर्स भी आयोजित करता है। इस बार (2007 में) इन कोर्स की शुरुआत 8 जनवरी से होगी और 30 मार्च तक ये चलेंगे। सात दिन के कोर्स की फीस प्रति व्यक्ति 4710 रुपये है और 14 दिन के सर्टीफिकेट कोर्स की फीस प्रति व्यक्ति 9440 रु. है। छात्रों के लिए इसमें थोड़ी रियायत मिल जाती है। इस फीस में ठहरना (डोरमेट्री में), खाना, स्की उपकरण, लिफ्ट व प्रशिक्षण का शुल्क शामिल है। इसके अलावा अगर आपको केवल दिनभर के लिए मौज करनी हो तो 300 रुपये किराये में दिनभर के लिए उपकरण और 175 रुपये में स्की का पाठ मिल सकता है। दास्तानों व चश्मे का किराया अलग से। सरदी के इंतजाम के कपड़े तो आपको खुद ही ले जाने होंगे।
बुकिंग, प्रशिक्षण आदि के संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए उत्तरांचल पर्यटन विभाग की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू.यूए.एनआईसी.इन/ उत्तरांचलटूरिज्म को टटोला जा सकता है।
ऊंचाई
समुद्रतल से 2915-3049 मीटर के बीच। ज्यादा रोमांच लेना चाहें तो 3400 मीटर तक की ऊंचाई तक आप जा सकते हैं।
स्कीइंग स्थल का क्षेत्रफल
5 वर्ग किलोमीटर
तापमान
गरमियों में 13 से 29 डिग्री सेल्शियस और सरदियों में 2 से 9 डिग्री सेल्शियस।
कपड़े
सरदियों में यहां रातें बर्फीली होती हैं, इसलिए मोटे गरम कपड़े जरूरी हैं।
दिल्ली या देश के किसी भी हिस्से से हरिद्वार होते हुए ऋषिकेश पहुंचें। हरिद्वार के लिए दिल्ली, कोलकाता व मुंबई से सीधी ट्रेनें हैं। सबसे निकटवर्ती हवाईअड्डा जौली ग्रांट (देहरादून) में है।
बद्रीनाथ सड़क मार्ग पर जोशीमठ की दूरी ऋषिकेश से 253 किलोमीटर व देहरादून से 298 किलोमीटर है। इस रास्ते पर बसें, टैक्सी व प्राइवेट वाहन लगातार चलते हैं, पर यह रास्ता दिन में ही सफर करने का है। जोशीमठ से ऑली की दूरी ऊपर पहाड़ी में 16 किलोमीटर है। यहां जाने के लिए सड़क मार्ग के साथ-साथ केबल कार भी है। सड़क मार्ग पर बसें नहीं चलतीं इसलिए जोशीमठ से टैक्सी करनी होगी। सरदियों में सड़क मार्ग पर बर्फ गिरी हो तो केबल कार ही सबसे उपयुक्त विकल्प होता है।
बुनियादी सुविधाएं
ऑली में गढ़वाल मंडल विकास निगम का गेस्टहाउस और कुछ निजी रिसॉर्ट भी हैं। जोशीमठ में भी रुकने के लिए हर बजट के होटल हैं।
जोशीमठ (1906.3 मीटर) से गोरसों (3016.3 मीटर) यानी स्की ढाल के ऊपरी छोर तक 3.9 किलोमीटर लंबी केबल कार उपलब्ध है। स्की स्थल पर पांच सौ मीटर लंबी स्की लिफ्ट और आठ सौ मीटर लंबी चेयर लिफ्ट भी है जो स्की करने वालों को निचली ढाल से ऊपरी ढालों तक ले जाती है। इससे उन्हें स्की उतारने या बर्फ में चढ़ाई करने का जोखिम नहीं उठाना पड़ता।
बर्फ को लगातार स्की के उपयुक्त बनाए रखने के लिए स्नोबीटर हैं। संचार की कारगर सुविधा है और सेना व सिविल अस्पताल भी निकट ही हैं। आपात स्थिति में बचाव के लिए हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध रहते हैं।