मिट्टी में नहाएं या बनाएं रेत के महल

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आनायुत्तू, वदक्कुमनाथा मंदिर, त्रिशूर

केरल की प्रकृति के साथ-साथ वहां की धार्मिक रीति में हाथियों की बड़ी भूमिका है। हर साल मलयालम महीने करकीदकम के पहले दिन मनाया जाने वाला यह पर्व दरअसल हाथियों का महाभोज है। इस दिन बड़ी संख्या में कतारबद्ध खड़े हाथियों को विशेष रूप से तैयार किया हुआ भोजन कराया जाता है। इस विशेष भोजन में खासे औषिधीय तत्व भी होते हैं। इन्हें हाथियों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी महीने को आयुर्वेद में तमाम चिकित्सा थेरेपी के लिए भी काफी अहम माना जाता है। इसलिए यदि आप केरल की प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सा से अपना इलाज कराना चाहते हैं तो भी यह सबसे अच्छा मौका है। लेकिन आनायुत्तू पर्व के लिए तो बड़ी संख्या में लोग त्रिशूर पहुंचते ही हैं। हाथियों को एक पंक्ति में खड़ा होकर भोजन करते देखने का दृश्य इतना अद्भुत होता है कि अब बड़ी संख्या में पर्यटक भी यह नजारा लेने यहां पहुंचने लगे हैं।

चंपाकुलम बोट रेस, अल्लपुझा

यह रेस हर साल अल्लपुझा की चंपाकुलम झील में आयोजित की जाती है। राज्य में यह सीजन की सबसे पहली बोट रेस होती है। मलयालम महीने मिधुनम के मूलम दिवस पर यह रेस होती है। इसे केरल की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित सर्प नाव रेस के रूप में माना जाता है। मल्लाहों का गीत वंछिपट्टू और रोमांचक चुंदनवैलम रेस इस आयोजन के प्रमुख आकर्षणों में से होते हैं। किवंदती यह है कि चेम्पाकासेरी के राजा देवनारायण ने राजपुरोहित की सलाह पर अम्बालापुझा में एक मंदिर बनवाया। लेकिन मूर्ति की स्थापना से पहले ही राजा को पता चला कि मूर्ति शुद्ध नहीं थी। मंत्रियों की सलाह पर फैसला किया गया कि खुद कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई अपनी ही मूर्ति को कुरिचि में करिकुलम मंदिर से लाकर यहां प्रतिष्ठापित किया जाए। मूर्ति लाते हुए मंत्रियों ने रात में चंपाकुलम में विश्राम किया। वहां से अगले दिन नावों के शानदार जुलूस में मूर्ति लाई गई। यह रेस उसी दिन की याद में है।

बोरयोंग मड फेस्टिवल, दाइचिओन बीच, कोरिया

ऐसा पर्व जो कोरिया में हर इंसान के भीतर बैठे बच्चे को बाहर निकाल देता है, जैसा कि हमारी होली। मिट्टी को त्वचा के लिए हमेशा से बेहद कारगर इलाज माना जाता रहा है। कोरियाई लोग इसका बखूबी इस्तेमाल जानते हैं। इसलिए इस पर्व में जम-जमकर एक-दूसरे को मिट्टी मली जाती है। बोरयोंग की मिट्टी के बारे में कहा भी जाता है कि उसमें काफी उपयोगी खनिज हैं जो त्वचा की झुर्रियां कम करते हैं और त्वचा की सतह से फालतू तेल सोंख लेते हैं। खून के प्रवाह में तेजी लाने और नई चमड़ी विकसित करने में मिट्टी के गुणों का जिक्र भी हमेशा से किया जाता रहा है। मिट्टी में पारंपरिक स्नान के अलावा इस मौके पर मिट्टी से शरीर पर चित्रकारी, मिट्टी सुंदरी, मिट्टी मसाज और यहां तक कि मिट्टी की कलाकृति की भी स्पर्धाएं होती हैं। मिट्टी कुछ ज्यादा हो जाए तो दाइचिओन बीच की सफेद रेत पर बीच वॉलीबाल, पैराग्लाइडिंग और सर्फिग का आनंद भी लिया जा सकता है।

युरुक कबग्यात, लामायुरू मठ, लद्दाख

जुलाई व अगस्त को बर्फीले रेगिस्तान कहे जाने वाले लद्दाख को देखने के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। यहां इसी मौसम में पहुंचना सबसे सुगम होता है। यह केवल संयोग नहीं कि इसी समय ज्यादातर बौद्ध उत्सव यहां मनाए जाते हैं। लद्दाख इलाके में मनाए जाने वाले बौद्ध पर्वो की लंबी फेहरिस्त का एक पर्व है युरुक कबग्यात। लेह से 127 किलोमीटर दूर लामायुरु में पहाड़ी टिले पर स्थित बेहद खूबसूरत मोनेस्ट्री में दो दिन का यह पर्व मनाया जाता है। लामा लोग मुखौटे पहनकर नृत्य करते हैं। ये मुखौटे द्रिंगुंग्पा परंपरा के संरक्षक पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूर-दूर से लोग इसमें शरीक होने पहुंचते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती और पुरातन परंपरा का शानदार नजारा यहां दिखता है। मुखौटा नृत्य बौद्ध परंपराओं का अहम हिस्सा हैं जिनमें जीवन कालचक्र की अहम मान्यताओं को दिखाया जाता है। इस तरह के नृत्य लेह से लेकर सिक्किम तक देखने को मिल जाते हैं। बौद्ध धर्म को नजदीक से देखने का बढि़या मौका होते हैं ऐसे उत्सव।

यात्रा डेस्करैनफोरेस्ट व‌र्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल, बोर्नियो, मलेशिया

बोर्नियो के चमत्कारिक जंगलों के बीचों-बीच होने वाला अद्भुत संगीत समारोह जिसमें दुनिया के शीर्ष संगीतकारों और बोर्नियो के मूल संगीतकारों का बेमिसाल संगम देखने-सुनने को मिलता है। इस दौरान कार्यशालाएं होती हैं, लेक्चर होते हैं और कंसर्ट भी आयोजित की जाती हैं। दूर-दूर से लोग जमा होते हैं। और जब लोग जमा होते हैं तो जाहिर है कि खाने-पीने व वास्तुशिल्प के भी पंडाल सज जाते हैं। अपने में एक शानदार अनुभव। बाद में ऐसी ही एक महफिल पेनांग में भी जमती है। इस जलसे की खास बात यही है कि इसमें मुख्यधारा के और लोकप्रिय संगीत से अलग पारंपरिक और देशज संगीत व वाद्यों को जगह मिलती है। कई जनजातीय वाद्य तो ऐसे होते हैं कि उन्हें देखने के लिए ही लोग जुट जाते हैं। ध्यान रहे कि मलेशिया का यह बोर्नियो इलाका अपनी जैवविविधता के लिए दुनियाभर में जाना जाता है।

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