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उत्तर में पाकिस्तान, पश्चिम में सागर और पूरब-पश्चिम में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान से घिरे गुजरात की धरती अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को बखूबी संजोए हुए है। यह राज्य अपने मंदिरों, समुद्रतटों, कला-शिल्प और वन्य विहारों के कारण दुनिया भर में जाना जाता है। गुजरात की सबसे खास बात यह है कि यहां परंपरा और आधुनिकता का जो अद्भुत संगम दिखाई पड़ता है वह देश के किसी अन्य राज्य में नहीं मिलता।
शुरुआत अहमदाबाद से
गुजरात की यात्रा का सबसे सहज तरीका यह है कि आप शुरुआत अहमदाबाद से ही करें। शहर के म्यूजियम, काष्ठकला को दर्शाते मंदिर-मसजिद, पुरानी हवेलियां, चटख रंगों वाली साडि़यां और गहनों से युक्त गुजराती स्ति्रयां अहमदाबाद की खास पहचान हैं। अहमदाबाद के बीच से निकलती साबरमती शहर को दो हिस्सों में बांटती है। दूसरे हिस्से में अहमदाबाद का नया और आधुनिक रूप मिलेगा। आधुनिक वास्तुशिल्प और मल्टीनेशनल संस्कृति की तरफ दौड़ता अहमदाबाद का यह हिस्सा किसी भी पर्यटक को अपनी सांस्कृतिक विविधता का आभास तुरंत करा देता है। गुजरात के इस हिस्से की एक खास बात यह भी है कि एक तरफ तो मुगलों, मराठों और अंग्रेजों ने यहां कुछ अविस्मरणीय लड़ाइयां लड़ीं और दूसरी तरफ दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी का जन्म भी यहीं हुआ।
मोधरा का विश्वप्रसिद्ध सूर्य मंदिर
अहमदाबाद से लगभग सवा सौ किमी दूर मोधरा का विश्वप्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। पुष्पावती नदी के तट पर स्थित यह मंदिर ग्यारहवीं शताब्दी की वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मोधरा का सूर्य मंदिर विश्व के दो बेहतरीन सूर्य मंदिरों में से एक है। दूसरा सूर्य मंदिर उड़ीसा के कोणार्क में है। गुजरात के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कृष्ण की द्वारिका नगरी और ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर हैं। कहा जाता है कि द्वारिका पांच बार सागर द्वारा लीली जा चुकी है। आज की द्वारिका छठी द्वारिका है। यहां द्वारिकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी के आसपास पूरे देश से अपार भीड़ जुटती है। द्वारिका की तरह सोमनाथ मंदिर भी कई बार नष्ट किए जाने के बाद बार-बार बनता आया है। कभी अपार संपदा और सौंदर्य से युक्त रहा यह मंदिर आज सागर तीरे स्थित एक तीर्थ स्थान बनकर रह गया है।
मौर्यकालीन किला
जूनागढ़ में मौर्यकालीन किला यहां का खास आकर्षण है। जबकि सासनगीर में 1400 वर्ग किमी में फैला एशियाई सिंह का विशाल अभ्यारण्य है। इस वन में एशियाई सिंह के अलावा सफेद चीते, हिरन, जंगली सुअर और लकड़बग्घे इत्यादि भी पर्यटकों को अकसर दिखाई पड़ जाते हैं।
पालिताणा तीर्थस्थल
गुजरात के दक्षिण तट की ओर अहमदाबाद से 200 किमी की दूरी पर भावनगर में जैन समुदाय का पालिताणा नामक तीर्थस्थल है। यह विश्व में एकमात्र ऐसा स्थल है जो महज मंदिरों से बना है। शत्रुंजय पहाड़ी पर स्थित पालिताणा में एक हजार साल पहले बने लगभग 900 मंदिर आस्था के केंद्र तो हैं ही, ये अपने सौंदर्य और वास्तुशिल्प की वजह से दर्शनीय हैं। कमाल की बात यह है कि संध्या होने के बाद पुजारी लोग पहाड़ी से नीचे उतर आते हैं और उन मंदिरों में कोई नहीं रह जाता। अहमदाबाद से 90 किमी की दूरी पर हड़प्पा संस्कृति का अवशेष लोथल ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
अहमदाबाद के दूसरी तरफ उतनी ही दूरी पर सैलानी पक्षियों का विहार नल सरोवर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण दर्शनीय है। अहमदाबाद से 130 किमी की दूरी पर स्थित पाटण अपनी पटोला सिल्क साडि़यों के लिए विश्वविख्यात है। इसके अलावा शहर में कुछ दर्शनीय जैन मंदिर भी हैं।
प्राचीन महल
गुजरात में पर्यटन स्थलों की कोई कमी नहीं है और ये पर्यटक की रुचि पर भी निर्भर है कि वह क्या देखना चाहता है। बड़ोदा में नजरबाग, मकरपुरा, लक्ष्मी विलास और प्रताप विलास जैसे दर्शनीय प्राचीन महल हैं तो बड़ोदा से 35 किमी की दूरी पर दुग्ध सहकारिता में देश की सफलतम श्वेतक्रांति का जनक आनंद है। जहां की अमूल डेरी हर व्यक्ति की आंखें खोल देती है।
कच्छ का रण
गुजरात में अन्य बीसियों दर्शनीय स्थल हैं, पर जिसने कच्छ का रण क्षेत्र नहीं देखा उसकी गुजरात की यात्रा अधूरी कही जाएगी। चूंकि यह हिस्सा बाकी गुजरात से अलग-थलग पड़ जाता है। इसलिए इस सौंदर्य स्थली की खोज भी देर से हुई। जहां एक तरफ कच्छ में हस्तशिल्प की अद्भुत वस्तुओं और विशालकाय क्षेत्र फ्लेमिंगों, पेलिकन और सैकड़ों सुंदर पक्षियों के क्रीड़ा स्थल है। इसके अलावा कच्छ उन खूबसूरत, शांत जंगली गधों का निवास स्थल है जिनको सरकार ने अब सुरक्षित की श्रेणी में डाल दिया है।