- Round Trip
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नए जमाने में घूमने-फिरने के तौर-तरीके भी अधिक वैज्ञानिक और उद्देश्यपरक होते जा रहे हैं। अब गर्मियों की छुट्टियों में लोग ऐसे स्थानों पर जाना चाहते हैं, जहां वे पर्यटन का लुत्फ तो उठा ही सकें, उनके शौक व स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति भी हो जाए। यही वजह है कि अब भारत में ऐसे केंद्रों का विकास हो रहा है जहां हीलिंग ट्रेडिशंस, आयुर्वेद, योग, मेडिटेशन, एरोमोथेरेपी, यूनानी व सिद्धा, होम्योपैथी, तिब्बती चिकित्सा, नेचुरोपैथी, एक्यूपंचर और एक्यूप्रेशर, जेम थेरेपी, प्रेरक हीलिंग, चक्र थेरेपी, बॉडी मसाज और ऑयल थेरेपीज की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
उत्तरांचल में ऋषिकेश के समीप ‘आनंदा’ को ब्रिटेन की पत्रिका ‘कोन्डे नास्ट ट्रैवलर’ ने दुनिया का नंबर वन स्पा घोषित किया है। सौ एकड़ जंगल के बीचों बीच गंगा व हिमालय के दिलकश नजारों के मध्य स्थित आनंदा को टिहरी गढ़वाल महाराजा के महल को केंद्र बनाकर निर्मित किया गया है। इस रिजॉर्ट के अंतर्गत 21000 वर्गमीटर स्पा और सुधारा गया वायसराय का महल, 75 डीलक्स कमरे और सुइट्स हैं। आनंदा के प्रबंध निदेशक अशोक खन्ना बताते हैं कि विश्व स्तर पर बढ़ती हुई स्पा प्रतिस्पद्र्धा के अनुरूप ही हम सुविधाएं दे रहे हैं। आनंदा में योग, पोषण, आयुर्वेद (पंच कर्म सहित), ध्यान और विशेष कोर्स, जिनमें तनावों और विकारों से बचाव के उपाय भी सम्मिलित हैं, उपलब्ध हैं। इस अंतरराष्ट्रीय स्पा केंद्र में अलग-अलग तरह की मसाज पद्धतियां, बॉडी रैप, पानी के उपचार जैसे हाइड्रो थैरेपी, जेट मसाज, सौंदर्य उपचार और मनोरंजक खेल जैसे टेनिस, स्क्वाश, गर्म स्वीमिंग पूल आदि भी उपलब्ध हैं।
नरेंद्र नगर के आस-पास का क्षेत्र ट्रैकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। स्पा से आधे घंटे की ड्राइव पर है, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, जहां चीते, हाथी, हिरण आदि देखे जा सकते हैं। गंगा पर व्हाइट वाटर रॉफ्टिंग भी यहां से आधे घंटे की दूरी पर है। आनंदा की विशिष्टता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां आने वालों में कई नामी-गिरामी हस्तियां शामिल हैं। यहां पेश किया जाने वाला भोजन भी आयुर्वेदिक सिद्धांतों और स्वास्थ्य के नियमों के अनुकूल बनाया गया है। ताजा जूसों का जो नुस्खा है उसे त्रिदोष प्रकृति (पित्त, कफ व वात) के तहत निश्चित किया गया है। हर भोज्य वस्तु में कैलोरी और वसा की मात्रा का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है। यहां स्थित 29 उपचार कक्ष आनंदा स्पा की अपनी विशिष्ट पेशकश हैं। औषधि उपचार के अंतर्गत भारतीय पारंपरिक विधियों को प्रमुखता दी गई है।
आयुर्वेद, योग, ध्यान के अभ्यास, सुगंध चिकित्सा, रश्मि चिकित्सा, आधुनिक यूरोपीय और थाई उपचार पर आधारित शरीर की शुद्धि और इंद्रियों को निर्मल करने के उपाय पर्यटकों में खासे प्रिय हैं। यहां पूर्ण सोना बाथ, वाष्प स्नान, टर्किश भाप स्नान, ठंडा डुबकी पुल, जकूजी हाइड्रो मसाज पद्धति उपलब्ध हैं। कम तेल और धीमी मालिश का तरीका शरीर को मुलायम बनाकर विकृत दोषों को दूर करता है। यहां योग अभ्यास और सूर्य नमस्कार के लिए एक अलग स्थान बनाया गया है। यहां डबल कमरे का किराया लगभग 12,000 हजार रुपये प्रतिदिन से शुरू होता है। दक्षिण में केरल के कीलोन से एलप्पी के बैकवार्ट्स में तैरते असंख्य हाऊसबोट पर्यटन के नए मिजाज के प्रतीक हैं। आने वाले पर्यटक यहां न सिर्फ जल क्रीड़ा और शांत जंगलों के बीच अपनी छुट्टियां बिता सकते हैं बल्कि इस अनुभव को यादगार स्वरूप भी प्रदान कर सकते हैं। इन परिवर्तनों को विशेषज्ञ ‘इको टूरिज्म’ कहते हैं।
पर्यटकों की पसंद बन रही हैं पुरानी पद्धतियां
‘इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड टूरिज्म’ के अनुसार इस तरह के नए परिवर्तनों को पर्यटक अत्यंत उत्साह के साथ पसंद कर रहे हैं। यही नहीं इन बदलावों से इस उद्योग के राजस्व में अभूतपूर्व रूप से बढ़ोतरी हुई है। इसका एक प्रमाण यह भी है कि मार्च 2006 तक दुनिया भर के कुल सैलानियों में से लगभग 24 प्रतिशत व्यक्तियों ने मेडिकल टूरिज्म को सर्वाधिक प्राथमिकता दी। दक्षिण अफ्रीका, केन्या व इक्वाडोर जैसे देशों के बाद भारत में भी टूरिज्म के इस स्वरूप को हाथों हाथ लिया जा रहा है।
‘मेडिकल टूरिज्म’ को हम प्राकृतिक पर्यटन भी कह सकते हैं। विज्ञान की अंधाधुंध प्रगति, प्रदूषण के चौतरफा विस्तार और आपाधापी से भरी जिंदगी ने स्वत: ही प्राकृतिक विकल्पों की तरफ मनुष्य का मन आकर्षित किया है। ऐसे में प्राकृतिक स्थलों व प्राकृतिक उपायों को अपनाने के लिए एक होड़ सी छिड़ी हुई है।
मालदीव के तटीय इलाकों की किस्मत भी तब से अंगड़ाई ले चुकी है जब से यहां मेडिकल टूरिज्म की संभावनाओं का सूर्योदय हुआ है। मेडिकल टूरिज्म को विकसित करने का यहां दोहरा लाभ देखने को मिला एक ओर जहां सरकार को 19 मिलियन डॉलर राजस्व का शुद्ध मुनाफा अर्जित हुआ। वहीं दूसरी ओर आर्थिक निर्भरता ने वहां के नागरिकों और सरकार के लिए शॉर्क सरीखी दुर्लभ मछली की नस्ल को संरक्षित, संवर्धित करने का मार्ग भी प्रशस्त किया।
सैलानियों के लिए केरल के बैक वाटर्स के अलावा वायनाड के जंगल भी आकर्षक स्थल हैं। वहां क्षेत्रीय संगठनों द्वारा संचालित किए जाने वाले ईको-टूरिज्म पैकेज किसी भी पर्यटक को लुभाने के लिए पर्याप्त हैं। जीप से जंगल में कुलांचे भरने के बाद रात को 25 से 35 मीटर ऊंचे वृक्ष गृह यानि मचान से झींगुरों की झांय-झांय के बीच चांद को निहारने का अनुभव आसानी से नहीं भूलता। इन मचानों पर आधुनिक सुख-सुविधाओं का भरपूर इंतजाम रखा जाता है। जानवरों की आवाजें, जंगल की अद्भुत सुनसान रात, हाथियों के झंुड की धम-धम करती आमद या फिर विशुद्ध जंगल राज, उसका जीवंत अनुभव हॉलीडे कॉटेज में रहकर किया जा सकता है।
समूचे विश्व में फैल रहे हॉली-डे-रिजॉर्ट की इस श्रृंखला में महाराष्ट्र के पुणे में स्थित ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट भी तेजी से दुनिया के नक्शे पर उभरा है। भारत में पिछले वर्ष आगरा में ताजमहल को देखने के बाद पूना में ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट का दूसरा नंबर है जहां सर्वाधिक सैलानी रिकॉर्ड किए गए। यहां आने वाले लोगों में 52 प्रतिशत भारतीय हैं जबकि कुल 110 देशों से भी अधिक देशों के पर्यटक यहां आते हैं। यहां निर्मित किए गए विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले रिजॉर्ट में पर्यटकों को एक ही स्थान पर बहुत से अनुभव उपलब्धत होते हैं। ओशो की थैरेपी को दूसरों तक पहुंचाने वाले देवेन्द्र भारती के अनुसार इस तरह की कार्यशालाओं में जिब्रिश, योग, एरोबिक, योगासन, जेन धनुर्विद्या, ताई-ची, पाई-डांस, जेनिस, मॉर्शल आर्ट, विभिन्न नृत्य विधियां, बोलचाल, संवाद, अभिनय, गायन, वादन आदि तत्व ऐसे हैं जो किसी भी मनुष्य को उसके भीतर छिपी वास्तविक प्रतिभा का अहसास कराते हैं और उसके शरीर को निरोगी व स्वास्थ्य बनाए रखने में मददगार होते हैं।
अद्भुत मसाज थैरेपी
रिजॉर्ट में हॉलैंड निवासी रसाल पिछले 14 साल से बॉडीवर्क कर रहे हैं। यह एक अद्भुत मसाज थैरेपी है, जो जोड़ों की तकलीफ के लिए संजीवनी का काम करती है। यहां रिबेलेसिंग, डीप कनेक्टिव टिशू मसाज, जॉइंट रिलीज, सेंसेटिविटी ऑफ टच, वर्किंग विद पेन आदि क्रियाओं द्वारा लोगों को स्वस्थ किया जाता है। अब पर्यटक ऐसे स्थानों को चुनना चाहते हैं जहां वे पर्यटन के साथ-साथ खुद को चुस्त-दुरुस्त भी रख सकें। विमान सेवाओं का अधिक प्रयोग करने वाले प्रोफेशनल्स, आफिस में काम करने वाले व्यक्ति व शारीरिक श्रम कम करने वाले व्यक्ति अपने पर्यटन पैकेज में इस तरह की सुविधाओं की स्वाभाविक अपेक्षाएं रखते हैं।
उत्तरांचल, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल, महाराष्ट्र, दीव आदि प्रदेशों में भी अनेक स्थानों को ऐसे केंद्रों के रूप में चिन्हित और विकसित किया जा रहा है, जहां मेडिकल टूरिज्म के मद्देनजर पर्यटकों के आवागमन की नई संभावनाएं बनी हैं। भीड़-भाड़ से दूर नए पर्यटन केंद्रों के रूप में इन स्थानों के अलावा हिमालय की गोद में अवस्थित सिक्किम भी एक प्रमुख केंद्र है। सिक्किम की खूबसूरत वादियां, मनमोहक झील और प्राकृतिक संपदा पर्यटकों को लंबे अरसे तक याद रहती है।
अगर कहीं यात्रा, खास तौर पर विदेश यात्रा पर निकल रहे हैं तो काफी होशियार रहने की जरूरत है। अनजान जगह पर उचक्कों व बदमाशों से खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वहां आपके मददगार कम होते हैं। इसलिए यात्रा पर कुछ बातों का ध्यान रखें: