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छुट्टियों का मजा लेना हो और उसमें रोमांचकारी यात्रा पर निकलना हो तो इसका सबसे बढि़या उपाय है रीवर राफ्टिंग। किसी चंचल नदी की तेज धाराओं में खुद को बहा लेना, उसकी ही दिशा को अपनी दिशा बना लेना और उसके वेग के साथ-साथ लहरों पर खेलते हुए कहीं दूर निकल जाना..। क्या किसी मधुर गीत या अद्भुत कविता से मिलता-जुलता अहसास नहीं है यह? हालांकि इस सुंदर सत्य में कई तरह की दुश्वारियां भी हैं। प्रकृति के रहस्य को जानने-समझने, उसे करीब से देखने, उसकी खूबसूरती को भरपूर पीने का यह ख्वाब जितना सुंदर है, उतना ही जोखिम भरा भी है।
भारत में व्हाइट वाटर राफ्टिंग उत्तर में हिमालय से निकलने वाली नदियों में की जाती है। ये नदियां अपनी पूरी यात्रा में घने जंगलों से भरे पहाड़ों, गहरी ढलानों और तेज गति से ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर होते हुए सुंदर दृश्य उत्पन्न करती हैं। आजकल कई तरह की ट्रैवल एजेंसियां, टूर ऑपरेटर्स और सरकारी टूरिस्ट ऑफिस ऐसी यात्राओं पर ले जाते हैं।
भारत में अलकनंदा, सिंधु, भागीरथी और तीस्ता जैसी नदियों में व्हाइट राफ्टिंग की सुविधा उपलब्ध है। अगर आपको खतरों से खेलना भाता है, जोखिम और रोमांच के खेलों में मजा लेना आता है तो आप सिक्किम में रिवर राफ्टिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। रोमांच भरा यह खेल अपने मूल रूप में पश्चिमी देशों की देन है। यहां यह थोड़ी देर से आया। जहां तक सुरक्षित राफ्टिंग का प्रश्न है, तीस्ता और रंगित नदियां इसके लिए सबसे उत्तम समझी जाती हैं। ठंडी और हड्डियों तक को ठिठुरा देने वाली सर्पिल धाराओं से सजी तीस्ता नदी राफ्टिंग की दृष्टि से समूची दुनिया की शानदार नदियों में एक मानी जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ग्रेड चार में रखा जाता है। यानी बहुत कठिन, संकरी और जरूरी तैयारियों वाली यात्रा।
तीस्ता की उपनदी रंगित सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्यों की सीमा पर स्थित है। इन दोनों नदियों के किनारे थोड़ी बहुत खेती वाले छोटे गांव और घने जंगल हैं। प्रचुर मात्रा में सफेद रेतीले तट हैं, जो अच्छे दृश्य पैदा करते हैं। यहां पूरी रात नदी के किनारे बिताने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं।
माघी संक्रांति मेला
गौरतलब है कि तीस्ता उन नदियों में एक है, जिनमें अक्टूबर और अप्रैल के बीच की शीत ऋतु में भी राफ्टिंग की सुविधा उपलब्ध है। इन दोनों नदियों के खूबसूरत तट, चारों ओर फैली नीली-हरी-घनी पर्वत श्रृंखलाएं, इसकी वनस्पतियां, फूल-पत्तियां, कई तरह की रंगीन सुंदर मछलियां नदियों की यात्रा को कहीं ज्यादा रोमांचक बना देती हैं। हिंदुओं और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए इन नदियों का महत्व आध्यात्मिक दृष्टि से भी है। वे इनकी उपासना करते हैं। जनवरी, यानी माघ महीने में यहां कई तरह की सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं। जनवरी की 13 से 15 तारीख के मध्य यहां ‘माघी संक्रांति मेला’ लगता है।
जरूरी शर्ते और सुविधाएं
खतरों से खेलने वाले खिलाड़ी हों या फिर इस क्षेत्र में नए आने वाले लोग, उन्हें मदद देने के लिए यहां पर्यटन विभाग और कई तरह के एजेंट्स हैं। इस यात्रा का खर्च कमोबेश आपकी जेब के माफिक बैठता है। इसमें आपके लिए भोजन, टूल्स, जीवन रक्षक जैकेट, हेलमेट वगैरह का खर्च भी शामिल होता है। अगर आप अपनी उम्र के चौदह साल बिता चुके हों तो आप इस यात्रा को अपने लिए चुन सकते हैं। इसके लिए आपको अच्छा तैराक होना कोई जरूरी नहीं। हालांकि गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों जैसे एपिलिप्सी, दिल की बीमारी वगैरह से ग्रस्त लोगों को इस यात्रा पर निकलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
राफ्टिंग पर जाने के लिए बेहतर समय होता है ग्रीष्म ऋतु का। क्योंकि सर्दी में ठंड आपको गला डालेगी या फिर कई नदियों का पानी ही फ्रीज हो चुका होगा और बरसात में नदियां उफन-उफनकर आपको साथ ले डूबने पर उतारू होंगी। इसके अलावा बाढ़ की आशंका ज्यादा रहती है। लिहाजा गर्मी में और खासकर अगस्त-सितंबर के माह में राफ्टिंग पर निकलना बेहतर होगा। इस समय पानी का स्तर संतुलित होता है। बसंत और ग्रीष्म पूर्व का समय भी राफ्टिंग के लिए ठीक रहता है।
जरूरी सामान
राफ्टिंग के लिए रोमांच और जुनून से प्यार करना आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। राफ्टिंग के लिए कुछ सामान साथ रखना जरूरी है। मसलन, अच्छा सनस्क्रीन, गहरे रंग का चश्मा, टी-शर्ट और शॉर्ट्स, सुविधाजनक जूता-स्नीकर या फिर मजबूत रबड़ की सैंडिल, विंडचीटर, हलका-फुलका स्वेटर, तौलिया और रोशनी का प्रबंध। अपने साथ एक अच्छा कैमरा और प्राथमिक चिकित्सा का सामान रखना न भूलें, क्योंकि दुर्घटना कभी कहकर नहीं आती।