अतीत का गौरव बीजापुर

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कर्नाटक के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में बेलगांव के पास आदिलशाही राजवंश की राजधानी है। इसे बीजापुर के नाम से जानते हैं। इस छोटे से शहर में घुसते ही लगता है कि प्राचीन वास्तु के संग्रहालय में आ गए हैं। ईरानी शैली की इमारतें यहां कई हैं। सन 1482 में बाहमनी साम्राज्य के पांच टुकड़े हुए। उनमें से ही एक राजवंश आदिलशाही हुआ। इसने 1489 से 1686 तक शासन किया व इसकी राजधानी बीजापुर रही। दो सौ वर्ष के शासन में आदिलशाही राजाओं ने कई मकबरों व मसजिदों का निर्माण कराया, पर इनमें से दो ही कृतियां बीजापुर को विश्वस्तर की प्रसिद्धि दिलाती हैं। एक गोल गुंबज और दूसरी किले पर तैनात तोप मालिक-ए-मैदान।

मोहम्मद आदिल शाह का मकबरा

गोल गुंबज आदिलशाही राजवंश के सातवें राजा मोहम्मद आदिल शाह का मकबरा है। इस मकबरे के निर्माण में 20 साल लगे थे। यह बीजापुर की सबसे विशाल और महत्वपूर्ण इमारत है। पूरा मकबरा 17 सौ फुट के दायरे में बना है और इसकी दीवारें तीन मीटर चौड़ी हैं। मकबरे का गुंबज बिना किसी खंभे की मदद के खड़ा है और रोम के सेंट पीटर्स बेसीलिका के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा गुंबज है। इसके 37 मीटर लंबे गलियारे की खूबी यह है कि घड़ी की आवाज या कागजों की सरसराहट एक से दूसरे छोर तक सुनाई देतीहै। गुंबद तक जाने के लिए मकबरे के अठकोणीय बुर्ज से एक रास्ता जाता है। बुर्ज से शहर का सुंदर नजारा दिखता है। इसमें सुलतान के परिजनों की कब्रों के अलावा नक्कारखाना, मसजिद, बड़ा दरवाजा व धर्मशाला भी है।

मालिक-ए-मैदान

गोल गुंबज के अलावा यहां मालिक-ए-मैदान नाम की तोप भी दर्शनीय है, जो अब जर्जर हो चुके किले के एक बुर्ज पर लगी है। बेल मेटल से बनी यह तोप दुनिया की सबसे बड़ी बेल मेटल तोपों में एक है। इसकी लंबाई 4.45 मीटर व भार 55 टन है। तोप के मुंह पर शेर की नक्काशी की गई है। गर्मी में भी इसे छुएं तो ठंडी ही लगती है। इब्राहिम रौजा, आसार महल, गगन महल, ताज बावड़ी और जामा मस्जिद भी यहां देखने लायक हैं। इब्राहिम रौजा इब्राहिम आदिलशाह द्वितीय का मकबरा है। इसे ईरानी वास्तुकार ने बनाया था। इसमें नक्काशी का काम देखने लायक है। इमारत के अगले भाग में दीवारों के पत्थरों पर मकबरे के तहखानों    का नक्शा उकेरा गया है जो ठीक मकबरे के नीचे ही हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि आसार महल में पैगंबर से जुड़ी कुछ चीजें रखी हैं। यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।

स्थानीय व्यंजन

बीजापुर के व्यंजनों में ज्वार व बाजरे की रोटी और बैगन का भर्ता बहुत लोकप्रिय है। भर्ते के साथ आपको शेन्गा चटनी भी मिलती है। शहर के ‘खानावाली’ होटल या रेस्त्रां में ही यहां के असली भोजन का स्वाद मिलता है। मांसाहार पसंद करने वालों के लिए यहां मुगलई व हैदराबादी भोजन की भरमार है। यहां एक रबड़ीनुमा मिठाई मिलती है, जिसे बासौंधी कहते हैं। यह अकसर डेयरी की दुकानों पर मिलती है। 250 ग्राम के पैकेट में मिलने वाली इस मिठाई को चखने के लिए भी पूरा पैकेट खरीदना पड़ता है, पर उसे खाकर लगता है सौदा बुरा नहीं है।

बेलगाम के निकट

बीजापुर बैंगलोर, बेलगाम व गोवा के रास्ते पहुंचा जा सकता है। बेलगाम इन तीनों में सबसे नजदीक है। यहीं हवाई अड्डा भी है और यहां से बीजापुर 205 किमी है। रहने को मौर्या आदिल शाही, सनमन, सम्राट व मधुवन इंटरनेशनल होटलों को देखा जा सकता है।

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