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गोवा भारत के सबसे लोकप्रिय और सदाबहार पर्यटन स्थलों में शामिल है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण समुद्र तट, वैभवशाली अतीत की याद दिलाते कई किले, सांझी संस्कृति के परिचायक मंदिर व गिरजाघर, कला के बेहतरीन नमूने समेटे कला दीर्घाएं, ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए सुविधायुक्त ट्रैक्स व खाने-पीने के लिए एक से बढ़कर एक समुद्री व्यंजन और अन्य स्वादिष्ट खाद्य व पेय पदार्थ, ऐसा लगता है कि विश्व के कई खूबसूरत गन्तव्यों का एक झरोखा है गोवा।
इतिहास
गोवा में 14वीं शताब्दी तक यादवों के साम्राज्य के बाद, करीब 300 वर्ष पुर्तगालियों ने राज किया। 19 सितम्बर 1961 को गोवा पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त होकर भारतवर्ष का अंग बना तथा 30 मई 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
गोवा का मुख्य आकर्षण है इसके रूपहली रेत से अठखेलियां करते पारदर्शी पानी से लबरेज समुद्र तट। लम्बे अर्से तक पुर्तगालियों के वर्चस्व की छाप आज भी गोवा के जन-जीवन पर दिखाई देती है। डॉल्फिन जैसी दुर्लभ मछली का साथ भी आपको मिल सकता है। गोवा के मशहूर समुद्रतटो मे अंजुना पणजी से 18 किमी दूर है। पणजी से 18 किमी की दूरी पर उत्तरी गोवा मे एक और बीच बागा है, जो सात किमी लंबा है। पणजी से 50 किमी दूर आरामबोल बीच की खूबी यहां चट्टानो पर की गई कलाकारी है। दक्षिण गोवा मे मडगांव से 22 किमी दूर बेतुल बीच दोनो ओर फैले पाम के पेड़ो के लिए जाना जाता है। इससे पहले मडगांव से 4 किमी दूर बेनौलिम बीच है। कोल्बा बीच पर सन, सैड और सी (सूर्य, बालू और समुद्र) का मिलन होता है। तीनो मिलकर मनोरम दृश्य बनाते है। पणजी से 3 किमी दूर स्थित मीरामार बीच को गोल्डन बीच के नाम से भी जाना जाता है। वाटर स्पोर्ट्स के शौकीनो के लिए डोना पाउला और बोगमालो बीच पर अच्छी सुविधाएं है।
पानी की अठखेलियां
तटो से जी भर जाए तो अरवालेम जलप्रपात जा सकते है। 24 मीटर ऊंचे इस जलप्रपात की छटा मानसून के बाद देखने लायक होती है। आसपास की गुफाएं इसके सौदर्य को और बढ़ाती है। यहां एक आकर्षक जलप्रपात दूधसागर भी है, जहां सैकड़ो फुट की ऊंचाई से गिरता पानी बेहद सुंदर दृश्य उत्पन्न करता है। वन्य जीवन में रुचि रखने वालो के लिए यहां के पक्षी विहार व अभ्यारण्य काफी आकर्षक है। यहां 48 दुर्लभ स्तनधारी, 276 पक्षी और 48 सरीसृप देखे जा सकते है। आप यहां डॉल्फिन जैसी दुर्लभ मछली के साथ समय बिता सकते है। गोवा के अभ्यारण्यो मे भगवान महावीर वन्य जीव अभ्यारण्य, बोदला फॉरेस्ट, कोटीगांव वन्य जीव अभ्यारण्य एवं सलीम अली पक्षी विहार प्रमुख है।
किले व संग्रहालय
गोवा के इतिहास व सांस्कृतिक विरासत की झलक पाने के लिए द आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम एंड पोर्ट्रेट गैलरी, द आर्काइव्ज म्यूजियम ऑफ गोवा देखने जा सकते है। पूरी तरह ईसाई कला को समर्पित म्यूजियम ऑफ क्रिश्चियन आर्ट एवं नौसेना को समर्पित एविएशन म्यूजियम का अपना अलग महत्व है।
समुद्री तटों के बाद गोवा मे लोगो को सबसे ज्यादा आकर्षित करते है किले। पणजी से 18 किमी दूर अगुआदा फोर्ट गोवा का सबसे मजबूत किला माना जाता है। यहां वास्तुकला के बेहतरीन नमूने देखे जा सकते हैं। गोवा मे कई ऐसे किले है जिन्हे बाद के शासक संजो कर नही रख सके। इन्ही मे से एक है कैबो ऑफ रामा फोर्ट। यह किला अब लगभग वीरान रहता है। यहां पुर्तगालियों के किलो से अलग पुरातन भारतीय स्थापत्य कला का नजारा देखने को मिलता है। इनके अलावा चपोरा फोर्ट, मर्मोगांव फोर्ट, टेराकोल फोर्ट, गेट ऑफ द पैलेस ऑफ आदिल शाह, वायसराय आर्च प्रमुख है।
मंदिर और गिरजाघर
गोवा मे गिरजाघरों की बहुतायत के कारण इसे पूरब का रोम भी कहा जाता है। जो चर्च यहां काफी प्रसिद्ध हैं उनमे बासिलिका द बॉम जीसस का नाम भी शामिल है। बेमिसाल वास्तुकला के नाते यह चर्च विश्व की धरोहरों मे गिना जाता है। इसके साथ ही चर्च ऑफ एंड्रयू, चर्च ऑफ लेडी ऑफ रोझेरी, चैपल ऑफ संत कैथरीन भी देखने लायक हैं।
गोवा के मंदिरो मे श्री अनंत देवस्थान अपने आप मे अलग महत्व का है। यहां शयन मुद्रा मे भगवान विष्णु की काले पत्थरो से निर्मित मूर्ति देश मे अपनी तरह की गिनी-चुनी मूर्तियो मे से एक है। यहां श्री भगवती मंदिर, श्री बागेश्वर मंदिर, श्री चंद्रनाथ मंदिर, श्री दामोदर मंदिर, श्री गणपति मंदिर, श्री गोमंतेश्वर देवस्थान, श्री महादेव मंदिर, श्री महालक्ष्मी मंदिर भी दर्शनीय हैं।
2 Responses to “गोवा बारह माह, चौबीस घण्टे पर्यटन”
June 30, 2010
गो गोवा
June 30, 2010
गोवा बारह माह, चौबीस घण्टे पर्यटन