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बाइक से सातवें आसमान पर

बाइक से सातवें आसमान पर

ऊंची चोटियों को अब तक कदमों से नापा जाता था लेकिन अब इंसान ने रास्ते बना लिए हैं और वाहनों से उंचाई छूने लगा है। लेकिन रास्ते बन जाने के बाद भी सफर आसान नहीं हो जाता। खासकर यदि आप लद्दाख के रास्ते पर बाइक से जा रहे हों। लंबा सफर,... आगे पढ़े

पुष्कर-स्नान का लाभ और मेले का मजा

पुष्कर-स्नान का लाभ और मेले का मजा

देश के हिंदू तीर्थस्थानों में पुष्कर का अलग ही महत्व है। यह महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि यह अपने आप में दुनिया में अकेली जगह है जहां ब्रह्मा की पूजा की जाती है। लेकिन इस धार्मिक महत्व के अलावा भी इस जगह में लोगों को आकर्षित करने... आगे पढ़े

विश्व पर्यटन दिवस

विश्व पर्यटन दिवस

हर साल 27 सितंबर को दुनियाभर में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यटन संगठन ने 1980 से यह दिन मनाना शुरू किया। इसके लिए 27 सितंबर का दिन चुना गया क्योंकि 1970 में इसी दिन विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। अब... आगे पढ़े

उठाएं लुत्फ ईस्टर्न एंड ओरिएंट एक्सप्रेस का

उठाएं लुत्फ ईस्टर्न एंड ओरिएंट एक्सप्रेस का

एशिया में भारत की ‘पैलेस आन व्हील्स‘ के बाद शाही ट्रेन यात्राओं में ईस्टर्न एंड ओरिएंट एक्सप्रेस का ही नाम है। इस ट्रेन ने अपना पहला सफर बैंकाक से सिंगापुर तक सन् 1993 में तय किया था। यह ट्रेन एक बार में 132 सैलानियों को करीब 2,030... आगे पढ़े

देलवाड़ा मंदिर : शिल्प-सौंदर्य का बेजोड़ खजाना

देलवाड़ा मंदिर : शिल्प-सौंदर्य का बेजोड़ खजाना

समुद्र तल से लगभग साढ़े पांच हजार फुट ऊंचाई पर स्थित राजस्थान की मरूधरा के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू पर जाने वाले पर्यटकों, विशेषकर स्थापत्य शिल्पकला में रुचि रखने वाले सैलानियों के लिए इस पर्वतीय पर्यटन स्थल पर सर्वाधिक... आगे पढ़े

देवों के जलसे

देवों के जलसे

कृष्ण जन्माष्टमी यूं तो कृष्णजन्मोत्सव का पर्व तमाम हिंदू घरों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। लोग घरों में झांकियां लगाते हैं। मंदिर सजाये जाते हैं। लेकिन जन्माष्टमी का त्योहार कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में मनाने की कामना... आगे पढ़े

ओरिएंट एक्सप्रेस - यूरोप की सैर का शाही अंदाज

ओरिएंट एक्सप्रेस – यूरोप की सैर का शाही अंदाज

ओरिएंट एक्सप्रेस यूरोप के मनमोहक शहरों से गुजरती है। इस ट्रेन का मुकाबला भारत की ‘पैलेस ऑन व्हील्स‘ से किया जा सकता है। इस ट्रेन ने अपना पहला सफर पेरिस से इस्तांबुल तक सन् 1883 में किया था। कहा जाता है कि इस ट्रेन को कुलीन, राजा,... आगे पढ़े

भीमाकाली मंदिर परंपरा की शक्ति

भीमाकाली मंदिर परंपरा की शक्ति

समुद्र तल से 2165 मीटर की ऊंचाई पर बसे सराहन गांव को प्रकृति ने पर्वतों की तलहटी में अत्यंत सुंदर ढंग से सुसज्जित किया है। सराहन को किन्नौर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यहां से 7 किलोमीटर नीचे सभी बाधाओं पर विजय पाकर लांघती और... आगे पढ़े

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