धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम

बर्फानी बाबा और जय जगन्नाथ

बर्फानी बाबा और जय जगन्नाथ

रथयात्रा, पुरी, उड़ीसा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के रथों को सुदर्शन चक्र के साथ श्री मंदिर से दो मील दूर गुंदिचा मंदिर में ले जाने का सालाना पर्व। दुनियाभर में कृष्णभक्तों के प्रमुखतम पर्वो में से एक। इसे भारत के सबसे प्रमुख सालाना धार्मिक आयोजनों में से भी एक माना जाता है। लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम पुरी के बड़ा डंडा में इन रथों को खींचने के लिए जमा हो जाता है। सात दिन गुंदिचा मंदिर में रहने के बाद रथ देवताओं के साथ फिर श्री मंदिर लौट आते हैं। पत्नी उठाकर दौड़ो विश्व चैंपियनशिप, सोंकाजारवी,... आगे पड़ें

कहीं फूलों का जलसा कहीं नावों का

कहीं फूलों का जलसा कहीं नावों का

पेनांग फ्लोरल फेस्टिवल- पेनांग, मलेशिया पेनांग का बोटोनिकल गार्डन दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे खूबसूरत माना जाता है। यह 72 एकड़ में फैला है और यह 19वीं सदी के आखिरी सालों में अंग्रेजों ने बनवाया था। इतने बड़े उद्यान को ढंग से देखने के लिए कुछ दिन चाहिए। वनस्पतियों की यहां कई दुर्लभ किस्में हैं। मई-जून में जब यहां फूल खिलते हैं तो यह वनस्पति उद्यान इंटरनेशनल फेस्टिवल का मेजबान बनता है। जाहिर है बागबानी से जुड़ी हर चीज व जानकारी आपको इन दिनों यहां मिल जाएगी। लैंजेरोन वाटर फेस्टिवल- ग्रेनाडा,... आगे पड़ें

घुमक्कड़ी की शुरुआत का मौसम

घुमक्कड़ी की शुरुआत का मौसम

ताकायामा मात्सुरी, ताकायामा, जापान जापान के सबसे शानदार और खूबसूरत जलसों में से एक। यह त्योहार 15वीं सदी से मनाया जा रहा है। साल में दो बार यह होता है-एक बार बसंत में और दूसरी बार पतझड़ में। बसंत का उत्सव हाई जिंजा धर्मस्थल पर मनाया जाता है। बेहद खूबसूरत सजी-धजी झांकियां निकाली जाती हैं। पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य व संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वैसाखी गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा की स्थापना का यह दिन दुनियाभर में सिख समुदाय के लिए सबसे ज्यादा उत्साह का होता है। फसल कटने का मौका... आगे पड़ें

रंगों भरा महीना

रंगों भरा महीना

बरसाने की होली, बरसाना-नंदगांव इस लट्ठमार होली की बात ही कुछ और है। भारत में होली के अलग-अलग रूपों में से सबसे चर्चित। गोप और गोपियों की यह होली सदियों से इसी अंदाज से खेली जा रही है और इसे देखने देश-विदेश से लोग जुटते हैं। एलीफेंट फेस्टिवल, जयपुर हाथियों पर बैठकर होली के रंग में सराबोर होने का यह मौका ही अद्भुत है। राजसी सवारी पर ऐसी होली आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। पूरा शहर मानो इस महोत्सव में शरीक होने उमड़ पड़ता है। गणगौर महोत्सव, जयपुर खास महिलाओं का त्योहार। गणगौर पूजा की राजस्थान... आगे पड़ें

खजुराहो: पत्थरों पर बोलता प्रेम

खजुराहो: पत्थरों पर बोलता प्रेम

खजुराहो का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां खजूर के पेड़ों का विशाल बगीचा था। खजिरवाहिला से नाम पड़ा खजुराहो। लेकिन यह अपने आप में अद्भुत बात है कि यहां कोई भी खजूर के लिए नहीं आता। यहां आने वाले इसके मंदिरों को देखने आते हैं। भारतीय मंदिरों की स्थापत्य कला व शिल्प में खजुराहो की जगह अद्वितीय है। इसकी दो वजहें हैं- एक तो शिल्प की दृष्टि से ये बेजोड़ हैं ही, दूसरी तरफ इनपर स्त्री-पुरुष प्रेम की जो आकृतियां गढ़ी गई हैं, उसकी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती। यही कारण है कि खजुराहो को यूनेस्को से... आगे पड़ें

मेलों व समारोहों का महीना

मेलों व समारोहों का महीना

मरु मेला, जैसलमेर, राजस्थान रेगिस्तान को उसके पूरे वैभव के साथ देखने का अद्भुत मौका। मेले के तीन दिनों में यहां की सांस्कृतिक छटा अपने पूरे शबाब पर होती है। गैर व अग्नि नृत्य मुख्य आकर्षण होते हैं। पगड़ी बांधने और मि. डेजर्ट जैसी स्पधाएं भी होती हैं। मेले का समापन माघ पूर्णिमा के दिन होता है। धवल चांदनी में चमकते रेत के टीलों पर ऊंट की सवारी करने और लोकनृत्य देखने का आनंद ही कुछ और है। सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला, सूरजकुंड, हरियाणा उत्तर भारत के सबसे बहुप्रतीक्षित मेलों में से यह एक है। हर साल... आगे पड़ें

मीनाक्षी मंदिर: आस्था और कलात्मक सौंदर्य का संगम

मीनाक्षी मंदिर: आस्था और कलात्मक सौंदर्य का संगम

दक्षिण भारत की द्रविड़ स्थापत्य कला और मूर्ति कला का अनुपम उदाहरण मीनाक्षी मंदिर आज विश्व भर में प्रसिद्ध है। आज जब संसार के आधुनिक आश्चर्यो को पहचानने के प्रयास किए जा रहे हैं, तब इस मंदिर के कलात्मक सौंदर्य से प्रभावित लोग मीनाक्षी मंदिर का नाम भी इन आश्चर्यो की गिनती में लाना चाहते हैं। इस बात से सहज ही इस मंदिर की भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। मीनाक्षी मंदिर के उद्भव के बारे में कुछ दंतकथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार मंदिर का महत्व मदुरै नगरी से ही जुड़ा है। किसी समय देवराज इंद्र... आगे पड़ें

मणिमहेश: एक कैलाश हिमाचल में भी

मणिमहेश: एक कैलाश हिमाचल में भी

यूं तो देश की ज्यादातर पहाडि़यों में कहीं न कहीं शिव का कोई स्थान मिल जाएगा, लेकिन शिव के निवास के रूप में सर्वमान्य कैलाश पर्वत के भी एक से ज्यादा प्रतिरूप पौराणिक काल से धार्मिक मान्यताओं में स्थान बनाए हुए हैं। तिब्बत में मौजूद कैलाश-मानसरोवर को सृष्टि का केंद्र कहा जाता है। वहां की यात्रा आर्थिक, शारीरिक व प्राकृतिक, हर लिहाज से दुर्गम है। उससे थोड़ा ही पहले भारतीय सीमा में पिथौरागढ़ जिले में आदि-कैलाश या छोटा कैलाश है। इसी तरह एक और कैलाश हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में है। ये दोनों... आगे पड़ें

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