धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम

अतीत का गौरव बीजापुर

अतीत का गौरव बीजापुर

कर्नाटक के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में बेलगांव के पास आदिलशाही राजवंश की राजधानी है। इसे बीजापुर के नाम से जानते हैं। इस छोटे से शहर में घुसते ही लगता है कि प्राचीन वास्तु के संग्रहालय में आ गए हैं। ईरानी शैली की इमारतें यहां कई हैं। सन 1482 में बाहमनी साम्राज्य के पांच टुकड़े हुए। उनमें से ही एक राजवंश आदिलशाही हुआ। इसने 1489 से 1686 तक शासन किया व इसकी राजधानी बीजापुर रही। दो सौ वर्ष के शासन में आदिलशाही राजाओं ने कई मकबरों व मसजिदों का निर्माण कराया, पर इनमें से दो ही कृतियां बीजापुर को विश्वस्तर... आगे पड़ें

राजस्थान का दूसरा पहलू है झालावाड़

राजस्थान का दूसरा पहलू है झालावाड़

रणवीरों की शौर्यगाथाओं के लिए चर्चित राजस्थान पर्यटकों के बीच केवल रेगिस्तान, ऊंट और किलों के लिए ही जाना जाता है। हालांकि यहां रेगिस्तान के अलावा अरावली और विंध्य की पर्वतश्रृंखलाएं तो हैं ही, हरे-भरे खेतों वाले मैदान, नदी घाटी, पत्थरों की खदानें और कई पवित्र तीर्थ भी हैं। अगर इन सबका मजा एक साथ लेना हो तो झालावाड़ चले जाइए। ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध झालावाड़ से सटे झालरापाटन धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। वैसे झालावाड़ का मुख्य आकर्षण गढ़ पैलेस अब प्रशासनिक कार्यालय में तब्दील... आगे पड़ें

इतिहास का एक पन्ना हैदराबाद

इतिहास का एक पन्ना हैदराबाद

आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में कदम रखते ही आपको एक ओर इतिहास की गलियों में घूमने का एहसास होगा और दूसरी तरफ तकनीकी ऊंचाइयों को छूती आधुनिकता आपको असमंजस में डाल देगी। नई-पुरानी संस्कृति के संगम के रूप में उभरता हैदराबाद सदियों से निजामों का प्रिय शहर और मोतियों के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। आज के पर्यटक के लिए हैदराबाद में देखने के लिए इतना कुछ है कि आप तीन-चार दिन आराम से इसे देखने और इसकी उपलब्धियों को जानने में बिता सकते हैं। हैदराबाद इस शहर का यह नाम कैसे पड़ा इसके पीछे छिपी... आगे पड़ें

बंगाल में काली पूजा

  बंगाल में काली पूजा

बंगाल में यह पर्व काली पूजा से संबद्ध है। दुर्गापूजा के समान ही सुंदर पंडालों में मां काली की प्रतिमा स्थापित की जाती है। वैसे तो धनतेरस से ही पूजा शुरू हो जाती है। महानिशा पर देर रात मुख्य पूजा आरंभ होकर भोर तक चलती है। महिलाएं अल्पना सजाती हैं तथा उपवास रखती हैं। पूजा के बाद माछ-भात का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। दीपक जलाने एवं आतिशबाजी से माहौल और उत्सवी बन जाता है। बाद में काली प्रतिमाएं नदी-सरोवरों में विसर्जित की जाती हैं। कई जगह साथ में लक्ष्मी पूजा भी की जाती है। ‘भाई फोटा’ यानी... आगे पड़ें

भारतभूमि का प्रकाश पर्व

भारतभूमि का प्रकाश पर्व

कार्तिक माह की अमावस्या के गहरे अंधकार को भेदकर पूरे वातावरण को प्रकाश से जगमगा देने वाला ज्योति पर्व दीपावली भारत भूमि का महापर्व है। मान्यता है कि इस दिन धन-संपत्ति की देवी लक्ष्मी मृत्युलोक में विचरण करने आती हैं। मानव उनके आगमन से सुख, समृद्धि, ज्ञान व ऐश्वर्य पाने की कामना करता है। मुख्यत: प्रकाश पर्व होने के कारण दीप तो इस दिन पूरे देश में जलाए जाते हैं, लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों के रीति-रिवाजों में काफी अंतर है। एक ही पर्व के ये कई रूप हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी खूबी अनेकता में एकता को... आगे पड़ें

संस्कृतियों का संगम

संस्कृतियों का संगम

इलाहाबाद भारत के प्रमुख पवित्र नगरों में से एक है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा जो सृष्टि के जनक है, ने पृथ्वी पर इस स्थान को जो तीन पवित्र नदियों के संगम पर है जो प्रक्रिष्ता यज्ञ हेतु चुना। पवित्र नदियां गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती हैं। संगम को त्रिवेदी नाम से भी जाना जाता है। यह कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण है। यह मेला विश्व का सबसे बड़ा श्रद्घालुओं का मेला होता है जो इलाहाबाद की शान बढ़ाता है। तीर्थ राज ब्रह्मा जी ने इसे ”तीर्थ राज” भी कहा है। वेदों, पुराणों, रामायण... आगे पड़ें

अमृतसर एक झलक

अमृतसर एक झलक

स्वर्ण मंदिर की दिन भर की यात्रा प्रात: काल 4 बजे आसा-दी-वार (प्रात:कालीन सेवा) से प्रारम्भ होकर चौपाई साहिब (शाम की सेवा) पर समाप्त होती है एवं पालकी साहिब के दर्शन करने का अवसर भी प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त आप मीरी और पीरी (श्री अकाल तख्त एवं श्री हरिमंदिर साहिब) बाबा अटल एवं गुरू के महल देखकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकते। आप गुरवाणी एवं कीर्तन से अर्चना और सेवा (स्वेच्छा से सेवा)करके मन की शांति प्राप्त कर सकते है। प्रसिद्ध पारम्परिक लंगर (चौबीस घण्टे-सातों दिन मुफ्त सामुदायिक रसोई)में भाग... आगे पड़ें

गोवा बारह माह, चौबीस घण्टे पर्यटन

गोवा बारह माह, चौबीस घण्टे पर्यटन

गोवा भारत के सबसे लोकप्रिय और सदाबहार पर्यटन स्थलों में शामिल है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण समुद्र तट, वैभवशाली अतीत की याद दिलाते कई किले, सांझी संस्कृति के परिचायक मंदिर व गिरजाघर, कला के बेहतरीन नमूने समेटे कला दीर्घाएं, ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए सुविधायुक्त ट्रैक्स व खाने-पीने के लिए एक से बढ़कर एक समुद्री व्यंजन और अन्य स्वादिष्ट खाद्य व पेय पदार्थ, ऐसा लगता है कि विश्व के कई खूबसूरत गन्तव्यों का एक झरोखा है गोवा। इतिहास गोवा में 14वीं शताब्दी तक यादवों के साम्राज्य के बाद, करीब... आगे पड़ें

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