हणोगी माता

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हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग शोभा वाले अनेक मंदिरों में से एक है हणोगी माता मंदिर। राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर मंडी और कुल्लू के बीच बने पंडोह बांध से कुछ आगे चलकर व्यास नदी के दूसरी ओर यह एक पर्वत पर शोभायमान है जिसका सौंदर्य देखते ही बनता है।

देवी के तीन रूप

हणोगी नामक स्थान पर स्थित इस मंदिर में देवी तीन रूपों में विद्यमान है। कहा जाता है प्राचीन काल में यहां अभय राम गुरु रहा करते थे जो तांत्रिक विद्या में निपुण थे। वह अपनी शक्तियों द्वारा तुंगाधार पर्वत श्रृंखला से तुंगा माता को हणोगी में लाए। इस देवी को ‘तुंगाधार की जोगणी’ के नाम से भी जाना जाता है। हणोगी में काली माता का प्राचीन मंदिर है जहां एक बड़ी गुफा है। तुंगा माता की पांच हजार वर्ष पुरानी पाषाण मूर्ति इस गुफा में आज भी विद्यमान है। कहा जाता है कि जब तक गुरु जी थे तब तक उन्होंने माता की पूजा-अर्चना नित्य जारी रखी। उनके पश्चात देवी की पूजा करने वाला कोई भी न था। लिहाजा कई अनहोनी घटनाएं होती रही।

दैविक चमत्कार और आस्था

कालांतर में आरंभ हुआ दुर्घटनाओं का सिलसिला थमा नहीं। छह-सात दशक पहले स्थानीय निवासियों ने इस बात को गंभीरता से लिया और माना कि ऐसा देवी के प्रकोप के कारण हो रहा है। हणोगी के समीप ही एक पुरानी सड़क थी, उस पर अक्सर रास्ता अवरुद्ध हो जाता था। इसी दौरान लोगों को कुछ दैविक चमत्कार दिखाई दिए और एक श्रद्धालु को स्वप्न में माता ने कहा कि यह मेरा स्थान है। फिर क्या था लोगों ने वहां एक वृक्ष को देवी शक्ति का प्रतीक मानकर पूजना आरंभ कर दिया। यह वृक्ष आज भी व्यास नदी के किनारे पानी में कुछ डूबा हुआ खड़ा है।

देवी के दृष्टांत का क्रम यहीं नहीं टूटा, पुरानी सड़क को टूटने से बचाने के लिए जो ठेकेदार दीवार बनाते थे वह अगले दिन टूटी मिलता थी। अंत में इस काम को कराने वाले ठेकेदार को माता ने स्वप्न में कहा कि यदि वह नदी के पार अर्थात हणोगी की ओर उनका मंदिर बनवाएगा तो उसके सब काम सफल होंगे। श्रद्धालु ठेकेदार ने छोटा सा सरस्वती मंदिर बनवाया।

हाइवे बन जाने के बाद फिर देवी ने कुछ भक्तों को हाइवे के किनारे पर पूजा स्थल बनाने की प्रेरणा दी। यहां भी एक छोटा-सा मंदिर बना जहां लक्ष्मी जी की मूर्ति है। दैवीय चमत्कारों को देखते हुए कुछ स्थानीय लोग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी आगे आए और काली माता के मूल स्थान पर मंदिर बनाने का काम शुरू किया। आज हणोगी में देवी तीन रूपों में विराजमान हैं- तामसिक काली, राजसिक लक्ष्मी व सात्विक सरस्वती।

नवरात्रों में कार्यक्रम

हणोगी माता मंदिर न्यास नवरात्रों में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। दोनों समय लंगर, औषधालय, गरीब कन्याओं का विवाह, मोटर से व्यास नदी पार कराने की सुविधा, बच्चों को पुस्तकें व कपड़े, गौ सदन संचालन, सरायों की सुविधा और संस्कृत महाविद्यालय का संचालन आदि कार्य मंदिर न्यास द्वारा किए जाते हैं।

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