चावल व नारियल के बिना कुछ भी नहीं

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केरल जितना खूबसूरत प्रांत है उतना ही जायकेदार यहां का खानपान है। चावल यहां का मुख्य भोजन है और चावल से बने कई तरह के व्यंजन लोग चाव से खाते हैं। चावल जितना ही महत्वपूर्ण है नारियल। नारियल के तेल में ही केरल के ज्यादातर व्यंजन पकाए जाते हैं।

चावल से यहां डोसा, इडली, पुट्टू, टूडियाधम, पालप्पम आदि बनाया जाता है। सब्जियों में अवियल यानी मिक्स सब्जी प्रमुख है। इसमें सांभर और सैजन मुख्य तत्व होते हैं। चावल के साथ पापड़म भी पसंद किया जाता है। तोरन यानी नारियल से बनी सूखी सब्जी यहां के लोगों को खूब भाती है। खाने के साथ मोर करी यानी छाछ भी परोसा जाता है। मीठे में यहां के लोगों की पहली पसंद है पायसम यानी खीर। केला यहां का प्रमुख फल है। कोई भी समारोह केले के चिप्स के बिना अधूरा माना जाता है। नारंगिया वेल्लम यानी नीबू पानी सत्कार का खास प्रतीक है। चाय व काफी तो चलती ही है।

खान-पान

यहां खाना-पीना सस्ता है।  प्रमुख शहरों में 13 रुपये में भी थाली मिल जाती है और एक सौ रुपये व अधिक में भी। ज्यादातर जगह केले के पत्ते पर ही खाना परोसा जाता है। आप कहेंगे तभी ही थाली में सर्व किया जाएगा।

ओणम

केरल का मुख्य त्योहार है ओणम। यह कभी अगस्त तो कभी सितंबर में होता है। इस बार 15 सितंबर को ओणम का मुख्य पर्व है। यह त्योहार दस दिन तक मनाया जाता है और सभी संप्रदायों के लोग इसे समान श्रद्धा व उत्साह से मनाते हैं। माना जाता है कि भगवान महाबली सभी को सुख-समृद्धि देकर जा रहे हैं। इन दस दिनों तक पूरा केरल दुल्हन की तरह सजा रहता है और कोट्टायम से अलेप्पी के बीच बोट रेस सहित कई भव्य आयोजन होते हैं। बोट रेस देखने यहां लोग दूर-दूर से आते हैं। इस दौरान घरों की सजावट मुख्य रूप से फूलों से की जाती है। जगह-जगह अल्पना की तरह फूलों को सजाया जाता है और उसमें गुड़हल के सुर्ख लाल फूल को छतरी की तरह लगाते हैं। इन दस दिनों में केरल में खासकर पतंगों की बहार होती है।

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