विरासत को सहेजती हेरीटेज ऑन व्हील्स

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जब पैलेस ऑन व्हील्स का मूल मार्ग परिवर्तित करके मीटर गेज से ब्राड गेज कर दिया गया तो उसके लिए डिब्बे भी नए तैयार किए गए। ऐसे में पैलेज ऑन व्हील्स के मीटर गेज डिब्बों के उपयोग के बारे में सोचा जाने लगा। इसी की परिणति हेरीटेज ऑन व्हील्स के रूप में हुई। इस तरह यह ट्रेन मीटर गेज पर चलने वाली पुरानी ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ ही है जो कि कुछ समय के लिए गुजरात में ‘रॉयल ओरिएंट’ ट्रेन के नाम से भी चलाई गई थी, लेकिन वहां अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के कारण आरटीडीसी ने इसे अपने एक नए प्रोडक्ट के रूप में हाथ में लिया है। कुल 14 सैलून वाली इस ट्रेन में एक सौ यात्रियों को सफर करवाने की क्षमता है। साथ ही ट्रेन में दो रेस्तरां और एक बार मय लॉज कार भी है। यह ट्रेन जयपुर से बीकानेर के बीच मीटर गेज लाइन पर 17 फरवरी 2006 से चलाई जा रही है। इसका मुख्य आकर्षण राजस्थान के बीकानेर और शेखावटी अंचल के साथ ही ताल छापर अभयारण्य का भ्रमण है।

जयपुर से अपनी यात्रा शुरू कर यह ट्रेन दूसरे दिन बीकानेर के मरुस्थलीय अंचल में स्थित खूबसूरत और भव्य महलों, हवेलियों और अभयारण्य को दिखाने के पश्चात तीसरे दिन दुनियां की सबसे बड़ी ऑपन आर्ट गैलेरी के रूप में विख्यात शेखावटी अंचल में रामगढ़, मेहनसर, मण्डावा केसल, नवलगढ़ आदि स्थलों की भव्य हवेलियों के साथ तालछापर में काले हिरणों के अभयारण्य का भ्रमण करवाने के बाद पुन: जयपुर पहुंच कर ही यात्रा को विराम देती है। इस ट्रेन में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 300 डॉलर किराया है। दो व्यक्तियों पर यह किराया 200 डालॅर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन और यदि तीन लोग एक साथ यात्रा करते हैं तो यह भी कम यानि 150 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। भारतीय यात्रियों के लिए यह प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 12 हजार 500 रुपये और दो व्यक्तियों पर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति साढ़े आठ हजार रुपये और तीन व्यक्तियों के एक साथ यात्रा करने पर साढ़े छह हजार रुपये मात्र प्रति व्यक्ति प्रतिदिन किराया है। पांच से बारह वर्ष के बच्चों के लिए आधे टिकट का प्रावधान है।

फेयरी क्वीन

विश्व धरोहर का दर्जा पा चुकी, गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज और अपनी अन्य कई खासियतों के लिए चर्चित ‘फेयरी क्वीन’ न केवल भारतीय बल्कि विश्व भर के पर्यटकों के लिए कौतूहल और खास आकर्षण का केंद्र है। यह रेलगाड़ी दुनिया में वर्ष 1855 से भाप के इंजन से निरंतर चलने वाली एक मात्र ट्रेन है। इसकी ऐतिहासिक महत्वता और दुर्लभता को देखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुख्य आकर्षण के रूप में इस ट्रेन का इस्तेमाल शुरू किया गया और सर्वप्रथम 1977 में अलवर (राजस्थान) और दिल्ली के बीच इसकी यात्रा शुरू की गई थी। तब से हर साल अक्टूबर से फरवरी के बीच शनिवार और रविवार को इसे चलाया जाता है। विदेशी सैलानियों के बीच खासी लोकप्रिय हो चुकी इस गाड़ी में दिल्ली से अलवर के मध्य करीब दो सौ किलोमीटर लंबे सफर का आनंद उठाना एक अलग ही अनुभव की अनुभूति करवाता है। राजस्थान की रंगीन वादियों, सरिस्का वन अभयारण्य और वहां के भव्य राजप्रासादों को देख पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं। अनूठी कलात्मकता में दुल्हन की तरह सजी संवरी इस ट्रेन की दोनों बोगियां (डिब्बे) वातानुकूलित है। इस ट्रेन की दो दिनों की यात्रा का किराया 165 डॉलर (7500 रुपये) है। जिसमें दिल्ली से अलवर आने-जाने, अलवर के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण और सरिस्का पैलेस हॉटल में ठहरने की सुविधा शामिल है।

यदि आप वन वे यात्रा और ठहरने की सुविधा ही चाहते हैं तो इसके लिए 121 डॉलर (5500 रुपये) देना होगा। दिल्ली-अलवर के मध्य इस ट्रेन से एकतरफा यात्रा करने पर 48 डॉलर (2200 रुपये) ही लगते हैं। इस ट्रेन का संचालन भारतीय रेल द्वारा ही किया जाता है और आरटीडीसी द्वारा उन्हें वांछित सहयोग देती है। रेल मंत्रालय के रेवन्यू में इजाफा करने वाली यह शाही रेलगाडि़यां न केवल देशी-विदेशी पर्यटकों को राजस्थान की ओर आकर्षित करती हैं बल्कि रेल-पर्यटन को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो रही है। राजस्थान के भव्य किले, महल और हवेलियां सांस्कृतिक और प्राकृतिक छटा, बहुरंगी संस्कृति, हस्तशिल्प कला आदि बरबस ही पर्यटकों को राजस्थान की ओर खींच लाते हैं और देश में आने वाला हर तीसरा विदेशी पर्यटक इस मरु प्रदेश का भ्रमण अवश्य करता है।

हैरीटेज ऑन व्हील्स सितंबर से लेकर अप्रैल तक के आठ महीनों में चलती है। यह ट्रेन राजस्थान की राजधानी जयपुर के स्टेशन से हर मंगलवार और शुक्रवार को चार दिन की यात्रा पर रवाना होती है। इन दोनों ट्रेनों के लिए अपने ट्रैवल एजेंट या राजस्थान पर्यटन विकास निगम से संपर्क करके बुकिंग कराई जा सकती है। पर्यटन संबंधी कई वेबसाइटों पर भी बुकिंग कराई जा सकती है। वहीं तीसरी गाड़ी फेयरी क्वीन एक्सप्रेस अक्टूबर से लेकर फरवरी तक हर महीने के दूसरे व चौथे शनिवार को दिल्ली कैंट स्टेशन से सवेरे दस बजे रवाना होती है और रविवार शाम पौने सात बजे वहीं लाकर छोड़ देती है। यह गाड़ी भारतीय रेल चलाती है और इसकी बुकिंग के लिए रेलवे काउंटर पर संपर्क करना होगा। इन गाडि़यों में सफर करना हो तो इस सीजन की न सोचें, लेकिन आगे के लिए योजना अभी से बनाना शुरू कर दें।

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