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पश्चिमी देश सालों तक सीरिया को आतंकवाद के केंद्र के तौर पर मानते रहे हैं। इसीलिए यूरोपीय सैलानी मिस्त्र के पिरामिड देखने तो बार-बार जाते रहे लेकिन पश्चिम से तनावपूर्ण रिश्तों के चलते सीरिया को नजरअंदाज करते रहे। लेकिन अब सूरत बदल रही है और सीरिया की संस्कृति, इतिहास और शिल्प के कई अनदेखे पहलू दुनिया को देखने को मिल रहे हैं। सीरिया शांत है और आधुनिक भी। बाकी दुनिया से उसके रिश्तों में भी तब्दीली आई है। इसीलिए जहां हाल तक सीरिया में आने वाले सैलानियों में दो-तिहाई अरब हुआ करते थे, जिन्हें उसकी छवि से नहीं बल्कि वहां के बीच रिजॉर्ट से मतलब हुआ करता था। लेकिन अब ऊंचे दर्जे के यूरोपीय सैलानी सीरिया की ओर मुंह कर रहे हैं।
इतिहास के अनूठे खजाने
इसी क्रम में वहां के इतिहास के कई अनूठे खजाने अब दुनिया के सामने आ रहे हैं। उनके बारे में पहले से पता तो था लेकिन वहां लोगों की आवाजाही बहुत कम थी। जैसे कि यूफ्रेटस नदी के तट पर बसी नगरी ड्यूरा यूरोपोस के अवशेष। यह नगरी तीन साम्राज्यों और तीन संस्कृतियों का मिलनबिंदु थी। कहा जाता है कि 256-7 में जीत के तुरंत बाद इस नगरी को तज दिया गया था। उसके बाद न वहां कुछ बना और न बाद के दौर में जो कुछ पहले बना था, उसपर कोई असर पड़ा। उम्मैद वंश ने स्पेन तक फैले मुसलिम साम्राज्य की राजधानी दमिश्क को बनाया। दमिश्क की उम्मैद मसजिद इसलामी इतिहास का महत्वपूर्ण केंद्र है। इसी तरह पालमिरा की रेगिस्तानी नगरी है जो अब यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में है।