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तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे हो और मैं आपको कहूं कि आज की रात जरा ऐसे होटल में बिताई जाए जिसमें सब तरफ बर्फ की दीवारें हों, और सोने के लिए बिस्तर भी बर्फ की सिल्लियों का बना हो तो आप या तो मुझे पागल मानेंगे या फिर आप समझेंगे कि मैं आपको पागल बनाने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन, नहीं जनाब। इन दोनों में से कोई बात नहीं। मैं हकीकत बयान कर रहा हूं, एक ऐसे होटल की जो पूरी तरह बर्फ का बना है। वहां हर तरफ सिर्फ बर्फ है। और यह पागलपन नहीं क्योंकि वहां लोग आते हैं और ठहरते हैं, पूरे लुत्फ के साथ। हाल यह है कि इस होटल में टिकने के लिए आपको काफी पहले से बुकिंग करानी होती है।
इस तरह के आइस होटल उत्तरी यूरोप में भी हैं और कनाडा में भी। लेकिन यहां मैं जिस होटल का जिक्र कर रहा हूं, वह दुनिया का सबसे बडा आइस होटल है। यह स्वीडन के लैपलैंड इलाके में है, जुकासजार्वी गांव में। इस गांव की आबादी महज एक हजार है। यह जगह आर्कटिक सर्किल से भी दो सौ किलोमीटर उत्तर में है। यूरोप के सबसे उत्तरी निर्जन इलाके में से एक। उस इलाके में गर्मियों में सौ दिनों तक सूरज नहीं डूबता और सर्दियों में सौ दिनों तक सूरज नहीं निकलता। ऐसे बर्फीले इलाके में आइस होटल की कल्पना रोमांचित कर देने वाली है। लेकिन यह होटल अब बीस साल का हो चुका है। महज 60 वर्ग मीटर से शुरू होकर यह 5500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल अख्तियार कर चुका है।
यह होटल हर मायने में अद्भुत है। सबसे अनूठी बात है, इसका निर्माण। क्योंकि यह कोई स्थायी ढांचा नहीं है। बर्फ का बना है, तो गरमी आते ही पिघल जाता है और होटल पानी-पानी हो जाता है। बगल में बहती टोर्न नदी की तरह। यानी यह होटल महज दिसंबर से अप्रैल तक के पांच महीने खडा रहता है। दिसंबर में तो दरअसल इसके बनने की शुरुआत होती है। और लोग दुनियाभर से इसके खडे होने की प्रक्रिया देखने भी पहुंचते है। हर तरफ दुनियाभर से जुटे कलाकार, आर्किटेक्ट, डिजाइनर व स्नो बिल्डर बर्फ को अलग-अलग शक्ल देने में लगे रहते हैं। टोर्न नदी में ही इस होटल के लिए इस्तेमाल होने वाली बर्फ की खेती की जाती है। बर्फ की सिल्लियों से ढांचा खडा होता जाता है और जैसे-जैसे यह खडा होना शुरू हो जाता है, तैयार हिस्सों में लोग ठहरने लगते हैं। ये वो दिन होते हैं जब सूरज कभी क्षितिज से ऊपर नहीं उठता। लेकिन लोग वैसे भी उसकी रोशनी के बजाय नॉदर्न लाइट्स का नजारा देखने को ज्यादा आतुर होते हैं। अप्रैल का अंत होते-होते सूरज की किरणें होटल की दीवारों को छूने लगती हैं। पता चल जाता है कि इस कलाकृति को विदा कहने का समय आ गया है।
होटल में कमरे अलग-अलग तरह के हैं- आर्ट स्वीट, आइस रूम और स्नो रूम। आप कहां रुके, यह इस पर निर्भर करता है कि आप क्या अनुभव करना चाहते हैं।
बाहर का तापमान जो भी हो, आइस होटल में तापमान हमेशा शून्य से पांच डिग्री नीचे से लेकर शून्य से आठ डिग्री नीचे तक बना रहता है।
बर्फ की सिल्लियों के बिस्तर पर आपको गर्म रखने के लिए रेनडीयर की चमडी लगाई जाती है और सोने के लिए थर्मल स्लीपिंग बैग दिए जाते हैं। उसमें घुस जाइए, बर्फ केवल सुकून देगी, ठंडक नहीं। आप वहां कितने दिन रुकना चाहते हैं, यह आपकी हिम्मत पर निर्भर करता है, लेकिन कई लोग अपनी छुट्टी की एक रात आइस होटल में बिताकर बाकी रातें बगल के गर्म होटल में बिताना पसंद करते हैं जिनकी दीवारें बर्फ की नहीं हैं।
रेस्तरां बर्फ की दीवारों के नहीं हैं लेकिन खाने की प्लेट व कटोरियां जरूर बर्फ की हैं। द्यआइस होटल में रुकने के अलावा भी यहां कई तरह की गतिविधियां हैं, जो आपको दुनिया के अन्य किसी इलाके में नहीं मिलेंगी।
यहां 1700 स्वीडिश क्रोनर (लगभग 11 हजार रु) प्रति रात्रि से लेकर 6900 स्वीडिश क्रोनर (लगभग 44 हजार रु.) प्रति रात्रि तक के कमरे उपलब्ध हैं। इनके लिए बुकिंग www.icehotel. com पर कराई जा सकती है। आइस होटल किरुना हवाई अड्डे से महज 15 किमी और किरुना ट्रेन स्टेशन से 17 किमी दूर है। स्वीडन के अलावा यूरोप के कई शहरों से यहां के लिए उडान हैं।