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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के आर्टिकल्स
नंद के लाल की खुशी में हो जाइए आप भी शामिल- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
कल यानी 2 सितम्बर को कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है. जन्माष्टमी के त्यौहार में भगवान विष्णु की, श्री कृष्ण के रूप में, उनकी जयन्ती के अवसर पर प्रार्थना की जाती है. हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण... आगे पढ़े
जिन्होंने दुधवा को दुधवा बनाया
जैसे भीष्म पितामह नहीं होते, तो महाभारत नहीं होता, वैसे ही बिली अर्जन सिंह नहीं होते तो दुधवा नहीं होता। यह बात नसीम गाइड ने हमसे कही थी। दुधवा के अनुभवी गाइड, नसीम ही हमें बिली सर के घर ले गए थे। बात पिछले ही महीने यानी बीते साल... आगे पढ़े
ब्रज की होली: लट्ठ कोड़े पड़ें दनादन
रंगों का त्योहार होली यों तो पूरे देश में उत्साह से मनाया जाता है लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में इसका अंदाज ही कुछ अलग है। होली के हुरियारों पर कहीं डंडों की मार पड़ती है तो कहीं कोड़ों से पीटा जाता है। गुलाल और रंगों के साथ ही... आगे पढ़े
वाराणसी: आस्था, विश्वास और पर्यटन का केन्द्र
वाराणसी माटी-पाथर का बना महज एक शहर नहीं अपितु आस्था विश्वास और मान्यताओं की ऐसी केन्द्र भूमि है जहां तर्को के सभी मिथक टूट जाते हैं। जीवंत रहती है तो सिर्फ समर्पण भरी आस्था। अपने अनेक नामों से जानी जाने वाली वाराणसी दुनिया... आगे पढ़े
रहस्य-रोमांच से भरपूर जंगल की दुनिया
शहरों का भ्रमण इतिहास, कला, संस्कृति व तकनीक को जानने के लिए जितना महत्वपूर्ण है, प्रकृति और जीवन के विविध रंगों को देखने और महसूस करने के लिहाज से उतनी ही रोचक है जंगलों की यायावरी। वैसे भी शहरों की आपाधापी व शोरगुल से ऊबा मन... आगे पढ़े
इलाहाबाद भारत के प्रमुख पवित्र नगरों में से एक है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा जो सृष्टि के जनक है, ने पृथ्वी पर इस स्थान को जो तीन पवित्र नदियों के संगम पर है जो प्रक्रिष्ता यज्ञ हेतु चुना। पवित्र नदियां... आगे पढ़े
वाराणसी में अनेक दर्शनीय धार्मिक व तीर्थ स्थल हैं। इनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व... आगे पढ़े
बनारस : हर घाट का निराला है ठाठ
सहस्त्राब्दियों से सुख-दुख झेलती काशी ने कभी मोक्ष तीर्थ तो कभी आनंद कानन के रूप में इतिहास के इति और आरंभ से साक्षात्कार किया। वाराणसी और बनारस के नाम से विख्यात इस नगर को ईस्वी पूर्व 1200 में सहोल के पुत्र काश्य ने बसाया था। कथा... आगे पढ़े
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