धर्म-संस्कृति व त्योहार , से जुड़े परिणाम

तमिलनाडु: श्रद्धा के द्वार पर दस्तक

तमिलनाडु: श्रद्धा के द्वार पर दस्तक

पवित्र मंदिरों और स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों से भरपूर तमिलनाडु को दक्षिण भारत में धार्मिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां मदुरै को भगवान शिव और महाबलीपुरम को भगवान विष्णु के वामन अवतार की कृपाभूमि मानते हैं तो दक्षिण की काशी के रूप में मशहूर कांचीपुरम को मोक्ष का सातवां द्वार कहा जाता है। श्रद्धा के केंद्र मंदिरों के धार्मिक महत्व और स्थापत्य शिल्प के अलावा यहां संग्रहालयों में ऐतिहासिक-पौराणिक संपदा का संग्रह भी बेजोड़ है। आइए चलें, पुण्य के साथ-साथ प्रकृति की सुषमा... आगे पड़ें

सौंदर्य के साथ आस्था का सफर

सौंदर्य के साथ आस्था का सफर

उत्तरांचल की हरी-भरी वादियां सैलानियों को तो आकर्षित करती ही हैं, श्रद्धालुओं के लिए भी इस देवभूमि में आकर्षण के कम कारण नहीं हैं। बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम की यात्रा पर अगर आप निकलें तो आस्था के इस सफर के दौरान प्रकृति का निष्कलुष सौंदर्य एक सच्चे हमसफर की तरह हर कदम पर आपके साथ होगा उत्तरांचल के पहाड़ों में हर तरफ फैली प्रकृति की सुंदरता जिस तरह प्रकृतिप्रेमी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है, वैसे ही यहां के पवित्र देवालय बार-बार श्रद्धालुओं को यहां आने का न्यौता देते हैं। हरे-भरे पहाड़,... आगे पड़ें

ममल्लापुरम

ममल्लापुरम

जब हमने मंदिर नगरी ममल्लापुरम के लिए प्रस्थान किया तो अनुमान भी न था कि हम प्रस्तर कला की जादूनगरी में जा रहे हैं। वैसे भी हमारा ध्यान ईस्ट कोस्ट हाइवे की सुंदरता पर था। चेन्नई का ईस्ट कोस्ट रोड एक मॉडर्न हाइवे है। यह मार्ग चेन्नई को पुद्दुचेरी से जोड़ता है। चार लेन के इस दोहरे मार्ग पर ही देश का पहला इलेक्ट्रॉनिक टोल गेट है। लॉन्ग ड्राइव का आनंद यहां भरपूर लिया जा सकता है। पुद्दुचेरी न जा सकें तो ममल्लापुरम तक इस कोस्टल मार्ग का आनंद तो ले ही सकते हैं। इसीलिए ममल्लापुरम में रोज देश-विदेश... आगे पड़ें

मरुभूमि का नगीना माउंट आबू

मरुभूमि का नगीना माउंट आबू

मरुभूमि पर एक नगीने-सा सजा माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय स्थल है। लगभग 1220 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह पहाड़ी शहर राज्य के दक्षिण में गुजरात की सीमा के निकट है। लगभग 25 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैली यह नगरी अरावली की पहाडि़यों पर दूर तक फैले एक पठारी क्षेत्र में बसी है। जहां हर ओर हरियाली का साम्राज्य है। इसलिए यहां की जलवायु भी स्वास्थ्यवर्धक है। जगह-जगह दिखाई पड़ती अनोखे आकार की चट्टाने माउंट आबू को अन्य हिल स्टेशनों से बिलकुल अलग करती हैं। माउंट आबू पहुंचना कठिन नहीं है। दिल्ली-अहमदाबाद... आगे पड़ें

बर्फ का देश लद्दाख

बर्फ का देश लद्दाख

लद्दाख में प्राकृतिक सौंदर्य चप्पे-चप्पे में बिखरा हुआ है। वहां से कितना सौंदर्य और आनंद आप अपने हृदय में भरकर ला सकते हैं, यह आपकी क्षमता और दृष्टि पर निर्भर करता है। लामाओं की भूमि लद्दाख के बारे में बहुत सुना था और जब से उसके बारे में इस तरह के विशेषण सुने थे कि लेह स्वर्ग जैसा है, इसके समान दुनिया भर में कोई जगह नहीं है तब से उसे देखने की हमारी बहुत इच्छा थी। जब एक दिन वहां जाने का इरादा बना तो हमने बड़े उत्साह और जोश के साथ तैयारियां शुरू कर दीं। लेह के बारे में जानकारियां इकट्ठी कीं। टूरिस्ट... आगे पड़ें

कर्नाटक : ऐतिहासिक इमारतों का गढ़

कर्नाटक : ऐतिहासिक इमारतों का गढ़

पहले मैसूर नाम से जाने जाने वाले कर्नाटक प्रदेश का यह वर्तमान नामकरण 1 नवंबर 1973 को हुआ था। अपने अंक में कृष्णा, कावेरी और गोदावरी समाए इस कर्नाटक की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है जो पर्यटकों को अपनी ओर बरबस ही आकृष्ट कर लेती है। नदियों और समतल धरातल के बीच निरंतर आने वाली छोटी-बड़ी पहाडि़यां, प्रकृति का वह मोहक दृश्य निर्मित करती हैं जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेने का साम‌र्थ्य रखती है। यही कारण है कि देशी-विदेशी पर्यटक इस प्रदेश की तरफ बरबस ही खिंचे चले आते हैं। उद्यानों का शहर बंगलौर कर्नाटक का... आगे पड़ें

पर्यटन अनजानी शांत जगहों का

पर्यटन अनजानी शांत जगहों का

आज पर्यटन का नाम आते ही हमारे मानस पर शिमला, मसूरी, नैनीताल जैसे पहाड़ी प्रदेश या जयपुर व उदयपुर ही उभरते हैं। ज्यादा उत्साही पर्यटक राजस्थान के चप्पे-चप्पे पर घूमते हैं या कुछ ऐसे भी हैं जो कश्मीर या लद्दाख तक पहुंचने का साहस जुटा लेते हैं। लेकिन आज पर्यटन के मायने बदल गए हैं। कठिनाई से मिले दुर्लभ क्षणों को आज भीड़-भाड़ वाले पर्यटन स्थल पर जाकर बेकार करना कोई नहीं चाहता। जो चैन से अपने दिन बिताना चाहते हैं वे जाते हैं ऐसे पर्यटन स्थलों की ओर जो दूर कहीं प्रकृति की गोद में बसे हैं और जहां शोर-शराबा... आगे पड़ें

साधना की पुण्यभूमि रिवालसर झील

साधना की पुण्यभूमि रिवालसर झील

हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली अनेक सुंदर झीलों में रिवालसर झील अपना विशेष स्थान रखती है। घने वृक्षों तथा ऊंचे पहाड़ों से घिरी यह झील प्राकृतिक सौंदर्य के आकर्षण का केंद्र है। मण्डी से 24 किमी दूर तथा समुद्रतल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रिवालसर झील के किनारे विभिन्न धर्मो के कुछ पूजनीय स्थल हैं। मुख्य रूप से यहां बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं। मानते हैं चमत्कार इस झील पर अकसर मिट्टी के टीले तैरते हुए देखे जा सकते हैं, जिन पर सरकण्डों वाली ऊंची घास लगी होती है। टीलों के तैरने की अद्भुत... आगे पड़ें

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