रोहतांग में ..जीने की मजा

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आइए, एक रोमांचक यात्रा के हमसफर बनें। मनाली से पचास किलोमीटर दूर तेरह हजार दो सौ छियासठ फुट ऊंचाई की ओर एक 52 सीटर बस जा रही है। यात्रियों से भरी बस में कुछ यात्री खड़े भी हैं। दुर्गम पहाडि़यों को अथक मेहनत से काट कर बनाई सड़क के दोनों तरफ बर्फ बिछी ही नहीं दीवारों के रूप में खड़ी भी है। बर्फ को स्नोकटर की मदद से हटाया गया है ताकि आवागमन बहाल रहे। लगभग आसमान की ओर जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग 21 यानी इस संकरी होती सड़क से यात्रा करते हुए पौराणिक व धार्मिक संदर्भ भूल जाते हैं क्योंकि प्रकृति की विराट व  उन्मुक्त गोद के बीच जो होते हैं हम। बस एक मोड़ काटती है, पहिया खाई के मोहाने पर पहुंच जाता है। बंगाल, मद्रास, गुजरात, मुंबई से आए लोगों और अन्य पर्यटकों की भी लगभग चीख निकल पड़ती है, ‘मर गए,’।  ‘नीचे कितना खाई है बाबा,’ ओ माई गॉड क्या रास्ता है, ‘दस हजार फुट से गहरा है यह खड्ड’। इन सब रोमांचक क्षणों के बीच चौकन्ना, अनुभवी बस चालक मुस्कराते हुए बस को थोड़ा पीछे लेकर फिर आगे कर कुशलता से बस को सुरक्षित चलाता रहता है। स्थानीय यात्री मौन हैं जिनमें पर्यटकों को बर्फ पर स्कीइंग कराने व सिखाने वाले, स्नो स्कूटर पायलट, सामान ले जाने वाले- सब शामिल हैं।
दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर बसा रोहतांग दर्रा
बस रुकती है। लीजिए, दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर बसा रोहतांग दर्रा आ गया। अधिकतर पर्यटक छलांग मारते बस से उतरने लगे, उन्हें लगा जैसे वह किसी और दुनिया में आ गए हैं। यह दुनिया उनके बरसों से देखे ख्वाबों का सच होता संसार है। कितनों के कानों में ‘यह इश्क हाय.. ; ..बैठे बैठाए, जन्नत दिखाए..ओ रामा’ बजना शुरू हो गया है। लगभग सभी को पता चल चुका है कि इस गीत की दिलकश लोकेशन आसपास ही है। जो लोग पहली बार यहां आए हैं उन्हें रोहतांग की नयनाभिराम खूबसूरती व चहुँओर बिखरी दिलकश बर्फ ही दीवाना बना देती है।

आनंद की उन्मुक्तता के मौसम में रोहतांग में रोमांच के साथ-साथ रोमांस को भी नए अर्थ मिलते हैं। उम्रदराज हो रहे दंपति भी खुद को युवाओं जैसा महसूस करते हैं तो युवाओं का तो क्या कहना। वे एक दूसरे को बांहों में भरते हैं,चूमते हैं,एक दूसरे को छेड़ते है, हवा भरी ट्यूब में साथ-साथ बैठकर बर्फीली ढलान पर फिसलते हुए मजा लेते हैं। एक-दूसरे के साथ अन्य पर भी गोले दागते हैं, गिर कर संभल कर, लिपट कर बर्फ के आगोश को जन्नत समझ लेते हैं। किसी से भी पूछ बैठते हैं कि ‘यह इश्क ..’ वाली जगह कहां हैं। बस यहीं हैं पास में। वह लगभग दौड़कर रोहतांग दर्रे के उस हिस्से में जाते हैं जहां बर्फ की कई कई फुट ऊंची दीवारें हैं। यहां इस जन्नत में पहुंचकर इश्क फिर से परवान चढ़ने लगता है। उम्र की गुफा में करेक्टर एक्टर होते जा रहे प्रौढ़ भी इस स्थल पर युवा नायक-नायिका हो जाते हैं।  रोमांस-रोमांच और निर्मल आनंद हमेशा ही रोहतांग के वातावरण का हिस्सा रहे हैं।

जिंदगी के इन नायाब व यादगार लम्हों को कैद करने के लिए हर किस्म का कैमरा यहां बेहद सक्रिय भूमिका निभाता है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कैमरे यानी हमारी आंखों से हमारे मन पर प्रतिबिंबित हुई स्मृतियां जीवन का स्थायी एनर्जी बैंक हो जाया करती हैं।  रोहतांग में भूख मिटाने के लिए चाय, कॉफी, चाऊमीन, ब्रैड, अंडा, बिस्कुट, कोल्ड ड्रिंक वगैरह उपलब्ध हैं। रोहतांग में चटपटे छोले भी उपलब्ध हैं। यह सब कुछ थोड़ा महंगा है लेकिन इतनी ऊंचाई पर मिल रहा है यही क्या कम है। हमें उन विक्रेताओं का शुक्रगुजार होना चाहिए जो मनाली से यह सब लाते हैं, टैंट में रात काटते हैं और कितनी बार यहां आए अप्रत्याशित तूफान में फंस जाते हैं। जी हां संसार के सबसे ऊंचे  ‘मनाली लेह मार्ग’ पर स्थित रोहतांग जोत व आस-पास का मौसम कब खराब हो जाए, पता नहीं चलता। यहां मई के महीने में बर्फ गिरती देखी गई है। यहां चलने वाली बर्फीली हवाएं और तूफान कई बार कहर बरपा चुके हैं,शायद तभी इस दर्रे को तिब्बती भाषा में  ‘शवों का ढेर’, संस्कृत में ‘भृंग-तृंग’ व हिन्दी में ‘मौत का मैदान’ कहते हैं। इस सड़क के कठिन रखरखाव का जिम्मा ग्रिफ (जी आर ई एफ) यानी जनरल रिजर्व इंजिनियर्स फोर्स का है जिसे बरसों से बखूबी निभाया जा रहा है।  रोहतांग में मजा लूटने के लिए स्लैज है जिस पर बैठ कर आराम से बर्फ पर फिसलते हुए आनंद मिलता है। स्लैज के नाम ‘मुगल ए आजम’ से लेकर लेटेस्ट हिट ‘ओम शांति ओम’ पर रखे जाते हैं। स्नो स्कूटर पर बैठकर फिसलना सचमुच रोंगटे खड़े कर देने वाला महा रोमांचक अनुभव है। आप को आता है तो इसे आप स्वयं ही ड्राइव कर सकते हैं। स्कीइंग सिखाने वाले भी खूब हैं यहां, जिन्हें स्कीइंग का सामान उठाए ग्राहकों को पटाते, मोल-भाव करते देखा जा सकता है।
रीति -रिवाजों वाला खूबसूरत क्षेत्र
रोहतांग से आगे लाहौल-स्पीति का अनोखे रीति-रिवाजों वाला बेहद खूबसूरत क्षेत्र शुरू होता है। इस इलाके में घुम्मकड़ी के लिए ज्यादा समय चाहिए। दोपहर बाद जब रोहतांग से बस सड़क पर उतरती है तो कई पर्यटकों के ब्लड प्रेशर की गाड़ी भी सरकती है। वही मोड़ लौटते हैं जो अब कभी कम तो कभी ज्यादा खतरनाक लगते हैं। कुछ महिला पर्यटक हथेलियों से आंखें मीच बैठी हैं। जी भर कर मजा लेने के बाद हाथ में हाथ थामे या एक दूसरे से चिपटे बैठे नवविवाहितों को हजारों फुट गहरी खाइयों की गहराइयां मोहब्बत की गहराइयों से कम लगने लगती हैं। बच्चों को दूर खड़ी गाडि़यां खिलौना सी दिखती हैं वे उसे गिनना शुरू कर देते हैं। रोहतांग से मनाली के बीच मढ़ी, गुलाबा, राहला फॉल व नेहरू कुंड जैसी मनमोहक जगहें भी आती हैं। इन स्थलों के आसपास अनेक टीवी सीरियलों व फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। गुलाबा से हेलीकाप्टर में बर्फीली पहाडि़यों की कुछ देर की सैर के लिए जा सकते हैं। रोहतांग से मनाली जाते समय रास्ते में छोटे बड़े झरने, नदी, आकर्षक पुल, गोल मटोल सफेद रंगीन पत्थर, चश्मों से बहता ठंडा पानी, आकृतियां बदलते बादल, चहचहाते पक्षी भीनी-भीनी खुशबू बिखेरते जंगली फूल व वृक्ष प्रकृति प्रेमियों का तन मन पुलकित कर देते हैं।  सफेद रोमांच से भरपूर रोहतांग यात्रा कर सुख से सराबोर पर्यटक मनाली पहुंच कर शापिंग, आवारगी, रोमांस या थकावट उतारने में व्यस्त हैं। उधर रोहतांग पर रात उदास है मगर सुबह फिर होगी और नए पर्यटक आएंगे और कुछ पुराने भी क्योंकि रोहतांग बार-बार बुलाता है। आप कब आ रहें हैं?

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