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पर्यटन के क्षेत्र में विश्व के नक्शे पर अपनी पहचान बनाने को आतुर सिक्किम पर्यटकोंको राज्य में आकर्षित करने के लिए नित नए-नए प्रयोग कर रहा है। चाहे वह विलेज टूरिज्म हो अथवा पारंपरिक खानपान, कैसिनो हो या औषधीय जड़ी-बूटियों से निर्मित तेल। पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही राज्य सरकार पर्यावरण के प्रति भी सचेत है।
प्राकृतिक छटाएं
वैसे तो सिक्किम में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्राकृतिक छटाओं के अतिरिक्त गंगटोक का सरमसा गार्डेन, चीन की सीमा पर स्थित छंगू झील, नाथुला दर्रे के अलावा युंगथांग में साल भर बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं और कई बौद्ध मठ तो हैं ही, अभी कुछ दिन पूर्व गंगटोक में कैसिनो की भी शुरुआत की गई है। सिक्किम में अब तक तो सैर-सपाटे से ही मानसिक सुकून मिलता था लेकिन अब विश्वस्तरीय प्राकृतिक चिकित्सा और मसाज पार्लर खोलने की भी योजना तैयार की जा रही है। इसे भी पर्यटन से जोड़ने की तैयारी चल रही है।
पर्यटक प्रकृति का भरपूर लुत्फ उठा सकें, इसके लिए विशेष सुविधा प्रदान करने की दिशा में राज्य सरकार जुटी है। इसके तहत सिक्किम जैसे पहाड़ी राज्य में प्राकृतिक चिकित्सा आदर्श व्यवसाय हो सकता है। पर्यटन विभाग इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
स्वास्थ्य पर्यटन
उन्होंने बताया कि आजकल लोग स्वास्थ्य के प्रति काफी सचेत हैं। चूंकि सिक्किम में औषधीय वनस्पतियों का अंबार है, इसलिए विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्रों में इसके उपयोग को ध्यान में रखते हुए विश्वस्तरीय विशेषज्ञों से इस संबंध में परामर्श लिया जा रहा है। इसके तहत केरल की तर्ज पर प्राकृतिक औषधीय तेलों से मालिश, जैविक मलों से उत्पादित हरी सब्जियां व पकवान आदि पर्यटकों को उपलब्ध कराये जाने की योजना तैयार की गई है। हालांकि सिक्किम में विलेज टूरिज्म के तहत गांवों के माहौल में पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन प्रयास यह है कि प्राकृतिक वादियों में निर्मित मकानों में उनके आवास की व्यवस्था की जाए। इस संबंध में राज्य सरकार ने व्यवसायियों को अभी तक 30 करोड़ रुपये बतौर ऋण प्रदान किया है। इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराकर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। राज्य के कुछ बड़े शहरों को सिंगापुर के शहरों की तर्ज पर विकसित किए जाने की भी योजना है।
प्राकृतिक चिकित्सा दुनियाभर में जोर पकड़ रही है। सिक्किम को विश्व के मानचित्र में उभारने के लिए थाईलैंड, लाओस, सिंगापुर आदि दक्षिण एशियाई मुल्कों के साथ व्यावसायिक तौर पर सहमति हुई है। इन देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों से सिक्किम को मदद मिल रही है। इसी आधार पर राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को मालिश करने के गुर सिखाने के लिए थाईलैंड से करार हुआ है। उसी करार के आधार पर राज्य सरकार आर्थिक सहयोग प्रदान कर युवाओं को थाईलैंड में प्रशिक्षण दे रही है।
राज्य सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था। राज्य में उत्पादित सभी कृषि उत्पाद जैविक हैं। प्राकृतिक चिकित्सा राज्य की इस विशेषता में मददगार होगी। राज्य सरकार आवश्यक ढांचों के निर्माण पर निवेश कर रही है।
पारिस्थितिकी पर्यटन
पारिस्थितिकी पर्यटन (इको-टूरिज्म) को बढ़ावा देने के लिए वन व पर्यटन विभाग एकीकृत कार्यक्रम चला रहा है। राज्य के ग्रामीणों को भी इस व्यवसाय से जोड़ा गया है, ताकि उन्हें भी आर्थिक लाभ मिल सके। इसी उद्देश्य को व्यावहारिक रूप में उतारने की कवायद के तहत स्टेट बायोडाइवर्सिटी बोर्ड, ज्वाइंट फारेस्ट मैनेजमेंट कमेटी और इकोडेवलेपमेंट कमेटी गठित की गई है। राज्य पर्यावरण आयोग का भी गठन किया गया है, जिसके जरिए औषधीय पौधों, हिमालय की प्राकृतिक संपदाओं आदि की सूची तैयार की जा रही है। इसी तरह स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड और हरित कोष का भी गठन किया गया है। राज्य के पंचवर्षीय कार्यक्रम ग्रीन मिशन का चौथा चरण पूरा हो चुका है। कुल मिलाकर सिक्किम में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यटन की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जरूरत है उन्हें पहचान देने की।