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नए दौर में सैर-सपाटे के शौकीन लोग नई जगहें तलाश रहे हैं, नए रास्तों पर भटक रहे हैं। पुराने जमे-जमाए भीड़ भरे हिल स्टेशनों के बजाय रोमांचक या सुकून वाले स्थान खोज रहे हैं। भारत में प्राकृतिक रूप से इतनी विशालता और विविधता है कि देश के हर कोने में ऐसी सैकड़ों जगहें छिपी हैं जो अभी लोगों की पहुंच से अछूती हैं। मध्य प्रदेश में पन्ना जिले के घने जंगलों में स्थित झिनना जंगल कैंप ऐसी ही जगह है।
पन्ना दो बातों के लिए प्रसिद्ध है-एक तो हीरे की खान और दूसरा टाइगर रिजर्व। एक तरफ जहां राजस्थान में सरिस्का व रणथंबौर जैसे टाइगर रिजर्व तेजी से लुप्त हो रहे बाघों के लिए चर्चा में हैं, वहीं पन्ना उन अभयारण्यों में है जहां अभी भी आसानी से बाघ देखे जा सकते हैं। पिछले सेंसस में यहां बाघों की संख्या तीस से ज्यादा आंकी गई थी।
जंगल में मंगल
यहां आप बाघ के अलावा भालू, जंगली सुअर, लकड़बग्घा, भेडि़या, सियार आदि भी देख सकते हैं। बारहसिंगों, सांभर, नीलगायों आदि की तो यहां भरमार है। पन्ना टाइगर रिजर्व के सामने आरक्षित वनक्षेत्र है। यहां वे सभी जानवर मिल जाते हैं जो रिजर्व में पाए जाते हैं। इसी जंगल में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 75 से 16 किमी अंदर है झिनना जंगल कैंप। इसका सबसे रोमांचकारी पहलू यही है कि यहां कैंप के आसपास दूर-दूर तक घना जंगल है। दिन में टाइगर रिजर्व की सैर के बाद रात में आप नाइट सफारी का मजा ले सकते हैं। सांभर, नीलगाय, सियार व जंगली सुअर यहां दिन में भी देखे जा सकते हैं। किस्मत बुलंद हो तो अंधेरा होते -होते आप कैंप के पास लड़ते भालू भी देख सकते हैं, पर डरने की जरूरत नहीं। कैंप किसी भी जंगली जानवर के हमले से पूरी तरह महफूज है।
झिनना जंगल कैंप में रहने का आनंद भी जंगल जैसा है। यहां तीन कॉटेज हैं और बाकी टेंट। बिजली-पानी की सुविधा भी पूरी तरह दुरुस्त है। खाने के लिए लजीज बुंदेली व्यंजन और किराया महज एक सस्ते होटल बराबर यानी कॉटेज का पांच सौ और टेंट का तीन सौ रुपये तक।
करने को बहुत कुछ
यह जंगल कैंप पन्ना टाइगर रिजर्व से 18 किमी और खजुराहो से लगभग 40 किमी दूर है। खजुराहो से इस कैंप तक साइकिल ट्रैक तैयार करने की योजना है। कैंप में टिक कर यहां से ट्रेकिंग के लिए भी तीन-चार ट्रैक हैं। बच्चों के लिए यहां दिन में बर्ड वाचिंग की योजना बनाई जा सकती है। यह क्षेत्र कई किस्म के पक्षियों का बसेरा है। नन्हे-मुन्नों को तो यहां कैंप में बने ट्री हाउस में भी खासा मजा आएगा। कुछ ही माह पहले वन विभाग ने यहां मोगली उत्सव भी कराया था।
कैंप की पूरी जिम्मेदारी बुंदेलखंड के इस इलाके में रह रहे जनजातीय लोगों के हाथ में है। यह कैंप राज्य सरकार और विश्व बैंक की डीपीआईपी परियोजना के तहत चार साल पहले स्थापित किया गया था। इतने कम समय में यह कैंप देश-विदेश के कई सैलानियों के लिए नियमित पर्यटन स्थल बन गया है।